Book Title: Sambodhi 1975 Vol 04
Author(s): Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 371
________________ सिधिसूरिकृत आरत्तो मंगले उझमाल, चरचई चंदनि गुणे विसाल, प्रभुतनु अति सुकमाल. वस्त एम सुपरइ एम सुपरई नमो जिणराइ, चंद्रप्रभ चंदन समउ, भवह पाप संतापहारण, त्रिकरण सुद्धे जे नमई ताह एह आनंद कारण, परतर पीपलियां भवनि पणमि उ स्वामी संति, आंगडीयावाडा भणी जिण भेटण मुझ पंति. भास पदमप्रभ छट्ठर नमउं ए, परिहरि मनह' प्रमाद त, कुगति कुमति दूरई गमउ ए, सुणियइ घंटह नाद त, . ." चणहटडी संतीसर ए सिरि सोलमउ जिणंद त, दरसणि दोषम बहु हरए, निज कुल केरउ चंद त. . १७ भाणसोल्यां परतर तणउ ए, सिरि संतीसर सामि, पटुआवाडाइ जिण नमिउ ए, जाई पाप सुनामि त, सगर कूइ संपइ करए, पास प्रगट अवतार त, बीजइ भवनि सुकृत भरए, कंसारवाडइ गुणसार त, १८ साहवाडइ मुनि सुव्रत ए, वीसभउ पूरइ आस त, अंगिहिं धरी महाव्रत ए, जिणि कीउ सिद्धिहि वास त, बाबरकोटिहिं नमिसु जिण, पास गुणे सुविशाल त, नारिंगपूरि वंछी करण, चरचिसु कुसमह माल त. जोगीवाडइ जागता ए, पास अनइ महावीर त, वंछीय जन सुख आपता ए, समरथ साहसघोर त, जलचउकई जगि जाणीयइ ए, मल्लिनाथ जसवंत, जीरावलउ वषाणीयए, जिणि नामइ हुइ संति. २० रातकावाडइ रतननिधि, पास जिणेसर दिदै त, पाल्हणपुरवाडइ नमउं ए, जसु दरसण गुण इट्ट त, १. आ स्थान हाल निश्चित थई शकतु नथी. ___ २. पाटणना बजारमा चीतारानी खडकी पासे अगाउ पटवावाडो हतो एम सद्गत आचाय विजयमेघसूरिजीए वातवातमां कडं हतु. परतण गुण इद्र त.

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