Book Title: Sambodhi 1975 Vol 04
Author(s): Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 399
________________ ५८ तरंगलोल तो दुक्ख-वेद-संतावियाए मे हियय-सोग विस्सामो । . आलेक्ख-कम्म-जोग्गो निम्मविओ पट्टओ घरिणि ॥४५४ दढ-पासिय-मसिणाओ जुत्तीएहि दिण्ण-माण-बद्धाओ(?) । कासि म्हि वट्टिआओ बहु-वण्णा-सह-वण्णाओ ॥ ४५५ उभओ तिक्खग्गाओ अवक्खडा तह पमाण-जुत्ताओ। परिसण्ह-निद्ध-लेहा पाणीसु वि उज्जमंतीओ ॥४५६ ताहि य में तं लिहियं तम्मि पडे चक्कावाय-जाईयं । जं में पिएण सहियाए समणुभूयं पि(?) निरवसेसं ॥४५७ जह रमियं जह चरियं विद्धो य मओ य सहयरो जह मे । जह खामिओ य वाहेण अणुमया तं जहा अहयं ॥४५८ तत्थेव मए लिहिया भागीरहिणोवइट्ठ-गइ-मग्गा । गंगा उयहि-तरंगा रहंग-नामा उलि(?) विहंगा ॥४५९ हत्थी य सो वयत्थो बाह-जुयांणो य गिहिय-कोयंडो । तत्थ लिहिया मए तो कमेण बट्टीए चित्तम्मि ॥४६० पउमसरो य बहु-विहा रुक्ख-कडिल्ला य दारुणा अडची । कमल सहस्साकिण्ण-उउ-काल-समणिया लिहिया . ॥४६१ . अच्छामि य पेच्छंती कुंकुम-वण्णं तयं रहंगं च । मह मण-रमणं चित्त-गयं(?) अणण्ण-चित्ता हं ॥४६२ xxx तइया वि दिणे गुण-विविह नियम-विवेल्लिया । x x x x x गुण-पवित्ती आसण्णा कोमुई-रत्ती ॥ ४६३ लागद्दाराणि अवंगु-पाणिमाधाय(?) घोसणा वत्ता । धम्मो विव सुह-करणी निण्य-करणी य अहम्मस्स ॥४६४ उववास-दाणमइयं वदाणि संघस्स(?) तेण तत्थ जणो । कुणइ विहि-निप्पकंपं(?) दिय-भोय-विमाण-सोमाणं(?) ॥४६५ कोमुइ-पुण्णिम-दिवसो जं आओ(?) घरिणी कमेण संपत्तो । धम्मस्स कारवणओ दिय-जण-दोगच्च नासणओ ॥४६६ अम्मा-पिईहिं (सहिया) कांसी चाउम्मासाइयार-सोहणयं । खमणं पडिकमणं पारणं च अयं पियेच्छीयं (?) ॥४६७. हम्मिय-तल-ओलोयण-गया य पव्वावरण्ह-कालम्मि । ओलोएमि पुरवरिं सग्ग-विमाणोवम-सिरीयं ॥४६८ पेच्छामि दुद्ध-धवले विण्णाणिय सुकय चित्तिय-क्खंभे । गयण-तलमणुलिहिते विमाण-पडिरूवए भवणे ॥४६९

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