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पाटण-चैत्य-परिपाटी
भेक कृति होय तो चालीस वर्ष बाद तेओ 'सिंहासन-बत्रीसी' जेवी रचना करे ए संभवित छे.
एक हस्तप्रत उपरथी संपादन कयु होई मूल हस्तप्रतनो पाठ यथावत् अहीं आप्यो छे. एमां महोल्लानां नाम काळां बीबांमां छाप्यां छे. उपर्युक्त सर्व चैत्य परिपाटीओ, स्थानिक जूना दस्तावेजो, हस्तप्रतोनी · पुष्पिकाओ, पट्टावलिओ आदिने आधारे पाटण तेमज गुजरातनां अन्य नगरोनां स्थळनामो विषे विस्तृत अध्ययन करवाने अवकाश छे. लंडन आदि श्चिमनां महानगरो विषे आवां आधारभूत अध्ययन थयेलां छे.