Book Title: Pragnapana Sutra Part 03
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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तेरहवाँ परिणाम पद - जीव परिणाम प्रज्ञापना
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भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! जीव परिणाम कितने प्रकार का कहा गया है?
उत्तर - हे गौतम! जीव परिणाम दस प्रकार का कहा गया है। वह इस प्रकार है - १. गति परिणाम २. इन्द्रिय परिणाम ३. कषाय परिणाम ४. लेश्या परिणाम ५. योग परिणाम ६. उपयोग परिणाम ७. ज्ञान परिणाम ८. दर्शन परिणाम ९. चारित्र परिणाम और १० वेद परिणाम। '
विवेचन - प्रस्तुत सूत्र में परिणाम का वर्णन किया गया है। परिणमन-एक रूप से अन्य रूप में परिवर्तित होना परिणाम है। द्रव्यास्तिक और पर्यायास्तिक नय की अपेक्षा परिणाम का स्वरूप इस प्रकार है। द्रव्यास्तिक नय की अपेक्षा अपना अस्तित्व रखते हुए उत्तर पर्याय प्राप्त करना परिणाम है। इसमें एकान्त रूप से पूर्व पर्याय न कायम ही रहती है, न उसका नाश ही होता है। पर्यायास्तिक नय की अपेक्षा विद्यमान पूर्व पर्याय का नाश होना और अविद्यमान उत्तर पर्याय का प्रकट होना परिणाम है। परिणाम के दो प्रकार हैं - जीव परिणाम और अजीव परिणाम। ... जीव परिणाम के दस भेद हैं - १. गति परिणाम २. इन्द्रिय परिणाम ३. कषाय परिणाम ४. लेश्या परिणाम ५. योग परिणाम ६. उपयोग परिणाम ७. ज्ञान परिणाम ८. दर्शन परिणाम ९. चारित्र परिणाम और १०. वेद परिणाम।
गई परिणामे णं भंते! कइविहे पण्णत्ते?
गोयमा! चउविहे पण्णत्ते। तंजहा - णिरय गइ परिणामे, तिरिय गइ परिणामे, मणय गइ परिणामे, देव गइ परिणामे १।
भावार्थ - प्रश्न- हे भगवन् । गति परिणाम कितने प्रकार का कहा गया है?
उत्तर - हे गौतम! गति परिणाम चार प्रकार का कहा गया है। वह इस प्रकार है - १. नरक गति परिणाम.२. तिथंच गति परिणाम ३. मनुष्य गति परिणाम ४. देव गति परिणाम।
विवेचन - नरक आदि गति नाम कर्म के उदय से जिसकी प्राप्ति हो उसे गति कहते है। नरक आदि गति रूप परिणाम अर्थात् नारकत्व आदि पर्याय परिणति जीव का गति परिणाम है।
दिय परिणामेण भैते। काबिहे पण्णते?
गोपमा। पंचविहे पण्णते। जहा - सोविय परिणाम, चावविय परिणाम पाणिविष परिणाम, जिभिविष परिणाम, फासिदिष परिणाम ।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! इन्द्रिय परिणाम कितने प्रकार का कहा गया है? - उत्तर - हे गौतम! इन्द्रिय परिणाम पांच प्रकार का कहा गया है। वह इस प्रकार है - १. श्रोत्रेन्द्रिय परिणाम २. चक्षुइन्द्रिय परिणाम ३. घ्राणेन्द्रिय परिणाम ४. जिह्वेन्द्रिय परिणाम और ५. स्पर्शनेन्द्रिय परिणाम।
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