Book Title: Prachin evam Madhyakalin Malva me Jain Dharm Ek Adhyayan
Author(s): Tejsinh Gaud
Publisher: Rajendrasuri Jain Granthmala
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संदर्भ सूची
1 ऐसा केवल जैनधर्मावलम्बियों का विश्वास 21 है।
2
3
10-136
10-166-1
11-5-124-26
4
5 पूर्व 2-8
6 5-28
7 तत्वार्थवार्तिक, पृष्ठ 294 8. सर्वार्थसिद्ध, पृष्ठ 94
24
9 उज्जयिन्यामथान्येद्युस्तच्ड्मशानेऽति- 25 मुक्तके वर्द्धमानां महासत्वं प्रतिमायोगधारिणम्। ।339/74 उत्तरपुराण
26
27
10 विक्रम कीर्तिमंदिर स्मारिक, पृष्ठ 34
28
35
11 10-52
12 जैन तीर्थसर्वसंग्रह, भाग 2, पृष्ठ 310 13 मौर्य साम्राज्य का इतिहास, पृष्ठ 425 14 खण्डहरों का वैभव - मुनि कांतिसागर,
विक्रम स्मृति ग्रंथ, पृष्ठा 21, डॉ. भगवतशरण उपाध्याय का निबन्ध "विक्रमीय प्रथम शती का संक्षिप्त भारतीय इतिहास"
22 गुप्तकाल का सांस्कृतिक इतिहास, पृष्ठ 321
23 भारतीय संस्कृति में जैनधर्म का योगदान,
16 Ibid, Page 417.
17 वही, पृष्ठ 418
पृष्ठ 153:
31
15. The Age of Imperial Unity, Vo.II, 32 Page 417.
Jain Education International
अनेकांत वर्ष 19/1-4, पृष्ठ 68
साप्ताहिक हिन्दुस्तान 1960, मार्च 30
संस्कृत केन्द्र उज्जयिनी, पृष्ठ 117
The Classical Age] Vol. III, Page 403-404
29 भारतीय संस्कृत में जैनधर्म का योगदान, पृष्ठ 332-333
30
History of Indian and Eastern Architecture, Vol.II, Page 55. Ibid, Page 55.
Progress Report of Archaelogical Survey of India V.C. 1919, Page
34
18 Asoka-V-A-Smith, Page 70. 19 मौर्य साम्राज्य का इतिहास, पृष्ठ 653. 20 Age of Imperial Unity, Page 418.
पृष्ठ 311
वही, पृष्ठ 311
6.1
2
S
33 वही, पृष्ठ 331, भारतीय संस्कृति में जैनधर्म का योगदान, 331
भारतीय इतिहास : एक दृष्टि, पृष्ठ 167
से 169
विक्रम स्मृति ग्रंथ, पृष्ठ 598-99
35
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23
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