Book Title: Prachin evam Madhyakalin Malva me Jain Dharm Ek Adhyayan
Author(s): Tejsinh Gaud
Publisher: Rajendrasuri Jain Granthmala
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14 वही, पृ.548
लान
34 वही, पृष्ठ 64 15 भारतीय संस्कृति में जैनधर्म का योगदान, 35 गुरु गोपालदास वरैया स्मृति ग्रंथ, पृष्ठ पृ.89
| 547-48 16 संस्कृत साहित्य का इतिहास, पृष्ठ 355.36 वही, पृष्ठ 551 गैरोला
37 वीरवाणी, वर्ष 18, अंक 13. पृष्ठ 22 17 वही, पृष्ठ 346
38 जैन साहित्य नो संक्षिप्त इतिहास, पृष्ठ. 18 भारतीय संस्कृति में जैनधर्म का योगदान, 96 पृष्ठ 114
|39 भारतीय संस्कृति में जैनधर्म का योगदान, 19 वीरवाणी, वर्ष 18, अंक 13, पृष्ठ 21 20 भारतीय संस्कृति में जैनधर्म का योगदान, 40 वही, पृ.163 . पृष्ठ 122
141 वीरवाणी, वर्ष 18, अंक 13, पृष्ठ 21-22 21 वीरवाणी, पृष्ठ 22
42 वही, पृष्ठ 21-22 22 गुरु गोपालदास वरैया स्मृति ग्रंथ, पृष्ठ 43 संस्कृति केन्द्र उज्जयिनी, पृष्ठ 118 ... 546
44 भारतीय संस्कृति में जैनधर्म का योगदान, 23 जैन साहित्य नो संक्षिप्त इतिहास, पृष्ठ पृष्ठ 125-26
.. 177-78, भारतीय संस्कृति में जैनधर्म 45 संस्कृति केन्द्र उज्जयिनी
का योगदान, पृष्ठ 332 146 अनेक्रांत, वर्ष 18, किरण 6. पृष्ठ 245 24 संस्कृत साहित्य का इतिहास, पृष्ठ 351/47 वही, पृष्ठ 242 25 भारतीय संस्कृति में जैनधर्म का योगदान, 48 भारतीय संस्कृति में जैनधर्म का योगदान,
| पृष्ठ 125 26 गुरु गोपालदास वरैया स्मृति ग्रंथ, पृष्ठ 49 वही, पृष्ठ 125 545-46
|50 गुरु गोपालदास वरैया स्मृति ग्रंथ, पृष्ठ 27 भारतीय संस्कृति में जैनधर्म का योगदान, | 548 पृष्ठ 177
|51 भारतीय संस्कृति में जैनधर्म का योगदान, 28 वही, पृ.195-96
पृष्ठ 120 28 वही, पृष्ठ 174
52 गुरु गोपालदास वरैया स्मृति ग्रंथ, पृष्ठ 30 गुरु गोपालदास वरैया स्मृति ग्रंथ, पृष्ठ 51 546
|53 भारतीय संस्कृति में जैनधर्म का योगदान, 31 संस्कृत साहित्य का इतिहास, पृष्ठ 355| पृष्ठ 185 32 गुरु गोपालदास वरैया स्मृति ग्रंथ, पृष्ठ 54 वीरवाणी, वर्ष 18, अंक 13, पृष्ठ 22 . 545
5 संस्कृत साहित्य का इतिहास, पृष्ठ 345. 33 भारतीय संस्कृति में जैनधर्म का योगदान, 56 वीरवाणी, पृष्ठ 22
पृष्ठ 178
पृष्ठ 177
1201
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