Book Title: Prachin Lipimala
Author(s): Gaurishankar Harishchandra Ojha
Publisher: Gaurishankar Harishchandra Ojha
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सूचीपत्र.
गांधार लिपि..........
आशय.
पृष्ठ. भारतवर्ष में लिखनेका प्रचार प्राचीन समयसे होना........१-६. पाली लिपि आर्य लोगोंनेही निर्माणकी है..................७-११.
........................११-१२. प्राचीन लिपियोंका पढ़ाजाना....................................१३-१७. प्राचीन लेख और दानपत्रोंके संवत्..............................१८-४६.
सप्तर्षि संवत् (लौकिककाल )...........................१८-२०. कलियुग संवत् (भारतयुद्ध संवत् )..........२०-२२. वुद्धनिर्वाण संवत्.......... .....................२२-२३. मौर्य संवत्.............
......................२४. विक्रम संवत् (मालव संवत् )...........................२४-३०. शक संवत्"
........................३०-३३. कलचुरि संवत् (चेदि संवत्, वैकुट्य संवत् ).........३३-३४. गुप्त या वल्लभी संवत् .....................................३४-३६. श्रीहर्ष संवत्.............. गांगेय संवत...................................................३७-३८. नेवार संवत् (नेपाल संवत् )..........................३८-३९. चालुक्यविक्रम संवत्......
३९-४२. लक्ष्म णसेन संवत् .............................................४२-४५. मिट संवत......................................................४५-४६.
कोलम संवत्....................................................४६. प्राचीन अंक ........
........................"४७-५४. लिपिपत्रोंका संक्षिप्त वृत्तान्त.....................................५४-७९. लिपिपत्र............... ................................................... १-५२.
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