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(१६) उन लेखोंकी भाषाको संस्कृत मानकर, उसी भाषाके नियमानुसार पढ़नेसे वह उद्योग निष्फल हुआ, परन्तु प्रिंसेप साहिब निराश न हुए. सन १८३६ ई० में प्रोफेसर लैसनने एक वाट्रियन सिक्केपर इन्हीं अक्षरोंमें आगेथोक्लीस ( Agathocles ) का नाम पढ़ा. सन् १८३७ ई० में मिस्टर प्रिंसेपने सांचीसे मिले हुए स्तम्भोंपरके कई एक छोटे छोटे लेख एकत्र करके उन्हें देखा, तो उन सबोंके अन्तमें दो अक्षर एकसे दिखाई दिये, और उनके पहिले प्रायः "स" अक्षर पाया गया, जिसको प्राकृत भाषाकी षष्ठि विभक्तिके एक वचन का प्रत्यय मानकर यह अनुमान किया, कि ये सब लेख अलग अलग पुरुषोंकी भेट प्रगट करते होंगे, और अन्त के दोनों अक्षर, जो पदे नहीं जाते, उनमें पहिलेके साथ आकारकी मात्रा (चिन्ह ) है, और दूसरेपर अनुस्वार है, इसलिये पहिला अक्षर " दा" और दूसरा “ नं" (दानं ) ही होगा. इस अनुमानके अनुसार “ द" और "न" के पहीचाननेपर वर्णमाला सम्पूर्ण होगई, और दिल्ली, इलाहाबाद, सांची, मथिया, रधिया, गिरनार, धौली, आदि स्थानोंके लेख सुगमता पूर्वक पढ़लिये गये, जिससे यह भी निश्चय होगया, कि उनकी भाषा जो पहिले संस्कृत मानलीगई थी, वह अनुमान असत्य था, बरन उनकी भाषा उक्त स्थानोंकी प्रचलित देशी (प्राकृत) भाषा थी. इन पाली अक्षरोंके पढ़ेजानेसे पिछले समयके सारे लेख पढ़ना सुगम होगया, क्योंकि भारतवर्षकी संपूर्ण प्राचीन लिपियोंका मूल यही लिपि है.
गांधार लिपि-कर्नेल टॉडने एक बड़ा संग्रह पाट्रियन और सीथियन (१) सिक्कोंका एकत्र किया था, जिनके एक ओर ग्रीक और दूसरी
ओर गांधार लिपिके अक्षर थे. जेनरल वंटुराने सन् १८३० ई० में मानिक्यालाके स्तूपको खुदवाया (२), तो उसमेंसे कई एक सिक्के और दो लेख इस लिपिके मिले. इनके अतिरिक्त सर अलेग्जेंडर वर्क्स आदि कितनेएक प्राचीन शोधकोंने भी बहुतसे ऐसे सिके एकत्र किये, कि जिनके एक
ओरके ग्रीक अक्षर पढ़े जासक्ते थे, परन्तु दूसरी ओरके गांधार अक्षरोंके पढ़ने के लिये कोई साधन नहीं था. इन अक्षरों के लिये भिन्न भिन्न कल्पना होने लगी. सन् १८२४ ई० में कर्नेल टॉडने कडफिसस ( Kadphises ) के सिकेपरके इन अक्षरोंको “ ससेनियन" प्रकट किया. सन् १८३३ ई० में
(१) सीथियन (तरुष्क) राजा तातारको तरफसे इस देशमें आये थे, उनमें कनिष्क बड़ा प्रतापी हा. (सौथियन राजाओंके सिक्कोंके लिये देखो टामस साहिबकी छपवाई हुई " प्रिन्सेस एन्टिक्विटोन", जिल्द १, प्लेट २१-२२). (२) मिन्स एप एन्टिक्विटीज (जिल्ट १, पृष्ठ ८३-१८),
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