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(३०) पुत्र ब्रह्मगुप्तने शक संवत् ५५० (वि० सं० ६८५) में स्फुट ब्रह्मसिधान्त रचा (१), और वराहमिहरका मृत्यु ई० सन् ५८७ में (२) हुआ. अतएव उक्त पुस्तक में दिया हुआ उसकी रचनाका समय, और राजा विक्रमादित्य. का वृत्तान्त सत्य नहीं है, और न कविता कालिदासकी प्रतीत होती है.
इस संवत्का प्रारम्भ ( ३ ) उत्तरी हिन्दुस्तान में चैत्र शुक्ला ? से, और गुजरात व दक्षिण कार्तिक शुक्ला १ से माना जाता है, इसलिये उत्तरी (चैत्रादि ) विक्रम संवत्, दक्षिणी (कार्तिकादि) विक्रम संवत्से ७ महीने पहिले बैठता है. कहीं कहीं गुजरात व काठियावाड़में इसका प्रारम्भ आषाढ़ शुक्ला ? से, और राजपूतान हमें श्रावण कृष्णा १ (पूर्णिमान्त) से मानते हैं.
शक संवत् (शक )- इसके प्रारम्भ के विषयमें ऐसा प्रसिद्ध है, कि दक्षिणके प्रतिष्ठानपुर (पैठण ) के राजा शालिवाहनने यह संवत् चलाया. कितने एक इसका प्रारम्भ शालिवाहनके जन्म दिनसे मानते (४), ओर कितने एक कहते हैं, कि उज्जैनके राजा विक्रमादित्यने शालिवाहनपर चढ़ाई वी, परन्तु शालिवाहनने उसको हराया, और तापी नदीके दक्षिणका देश
(१) यौचापवं गतिलके श्रीव्याघ्रमुख नृप शकतृपकालात् । पञ्चाशरभंयुक्त वर्ष मते : पञ्चभि - रतोते : ॥ ब्राहा : स्टसिद्धान्त : सज्जनगणितगोलपित्मोत्ये । त्रिशण कृतो सिनद्रह्मगुप्त न ( स्फुट आर्यसिद्धान्त, अध्याय २४, पार्यो ७, ८). (२) रायल एशियाटिक सोसाइटीका नर्नल (न्युमौरीको जिल्ट १, १९४.७).
जनके ज्योतिषियोंने ज्योतिषके आचार्यों के नाम व समयको फिहरिस्त, जो डक्टर डबल्य १ इंटरको हो यो, उसमें वराहमिहरका समय शक संवत् १२७ लिखा है ( कोलब्र का मिथे लेनियस एसेज, जिल्द २, पृष्ठ ४१५ ). डाक्टर थोबोने वराहमिहरके “ पञ्चसिद्धान्तिका" बनाने का समय ई० सन्की छठी भताब्दीका मध्य नियत किया है ( पञ्चसिद्धान्तिका की पंग्रेजो भूमिका, पृष्ठ ३० ).
(३) वास्तवमें विक्रम संवत्का प्रारम्भ कार्तिक शुक्ला । से, और शक संवत्का चैत्र शुल्ला १ से है, परन्तु उत्तरी हिन्दुस्तान वालोंने पौईसे विक्रम संवत्का प्रारम्भ भो पक संवत के साथ साथ रैत्र शुक्ला १ को मानलिया है. वि. स. को वौं शताब्दी मे १४ वौं सताब्दी तक राजपूताना, तुन्देलखण्ड, पश्चिमोत्तरदेश, ग्वालियर, और बिहार प्रादिके लेखों में कार्मिकादिका प्रचार वादिसे अधिक रहा पायाजाता है, पौईसे बहुधा चैत्रादिका हो प्रचार छुआ. गुजरात और दक्षिण में अबतक यह सवत् अपने अस्ली प्रारम्भ ( कार्तिक शुक्ला १) से चलाता है,
(४) केन्द्र (१४८३ ) प्रमिते वर्षे शालिवाहनजन्मत: । कृतस्तपसि मातडीःयमल जायतूद्गत : ( मुहर्त मार्तड, अलङ्कार, शोक ३),
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