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था, ऐसेही सीरियावालोंने दो और पांचके लिये एक एक नया चिन्ह मान लिया था (१).
शहबाज़गिरिपरकी अशोककी पहिली धर्माज्ञामें १ के लिये एक (।) और २ के वास्ते दो (॥) खडी लकीरें खुदी हैं. ऐसेही १३ वीं आज्ञामें ४ के लिये चार (m), और तीसरीमें पांचके वास्ते पांच (m) खडी लकीरें दी हैं, जिससे पाया जाता है, कि १ से ९ तक गांधार अंकोंका क्रम अशोकके समयमें फिनीशियन क्रम जैसाही था. तुरुष्क राजा
ओंके समय में केवल १, २ और ३ के लिये क्रमसे।, ॥ और ॥ खडी लकीरें लिखते थे, और ४ के लिये लिखना छूटकर x चिन्ह लिखा जाता था (२).
तुरुष्क राजाओंके समयमें और उसके बाद गांधार लिपिमें १, २, ३, ४, १०, २० और १०० के लिये एक एक चिन्ह था (देखो लिपिपत्र ४३ वां). इनसे ९९९ तक अंक लिखे जासक्त होंगे. १००० या उसके आगेके अंकोंके चिन्ह अबतक किसी लेख आदिसे ज्ञात नहीं हुए. ५ से ९ तक अंकोंके लिखनेका क्रम ऐसा था, कि ५ के लिये ४ का चिन्ह (X) लिख उसकी बाई ओर एकका चिन्ह रखते थे (ix). इसी प्रकार ६ के लिये ४ और २ (ux); ७ के लिये ४ और ३ (x); ८ के लिये ४ और ४ (XX); और ९ के लिये ४, ४, और १ (IXx) लिखते थे.
ऐसेही ११ के लिये १० और १, २६ के लिये २०, ४ और २, २८ के वास्ते २०, ४ और ४३८ के लिये २०, १०,४ और ४, ६१ के वास्ते २०, २०, २० और १; तथा ७४ के लिये २०, २०, २०, १० और ४ लिखते थे ( देखो लिपिपत्र ४३ वां).
१०० के लिये एक, और २०० के लिये दो खडी लकीरें लिख उनकी घाई ओर १०० का चिन्ह लिखते थे. ऐसेही ३०० आदिके लिये भी होना चाहिये. १२२ के लिये १००, २० व २ तथा २७४ के वास्ते २००, २०, २०, २०, १० और ४ लिखते थे ( देखो लिपिपत्र ४३).
(१) एन्साइक्लोपीडिया ब्रिटानिका-नवौंबार छपा हुआ (जिल्द १७, पृष्ठ ६२५).
(२) खालसोको तैरहवौं धर्माज्ञामें ४ के लिये x चिन्ह लिखा है ( कास इनस्क्रिपशनम् इण्डिकेरम्, जिल्द १, प्लेट ४, पक्ति ५ ), जो पाली लिपिका ४ का अंक नहौं, किन्तु गांधार लिपिका है. पाली लिपिके लेख में, गांधार लिपिका अंक भूलसे लिखा होगा, परन्तु इससे पाया जाता है, कि अशोकके समय तक के लिये चार खड़ी लकौरे', और x चिन्ह दोनों लिखने का प्रसार था, किन्तु तुरुष्क राजाओं के समय लकौरोंका लिखना बिल्कुल कू टगया था.
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