________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
(७) "पाली” (१) लिपि आर्य लोगोंनेही निमान की है,
भारतवर्षके प्राचीन लेख और सिकोंसे पाया जाता है, कि इस देश में पहिले दो लिपि प्रचलित थीं, अर्थात् "गांधार" और "पाली". गांधार देशके (२) सिवा सर्वत्र पालीका प्रचार होने, और उनीसे बहुधा इस देशकी समस्त प्राचीन और वर्तमान लिपियोंके बनने के कारण यहांकी मुख्य लिपि “पाली" ही मानना चाहिये. ___जब कितनेएक यूरोपिअन विद्वानोंने यह प्रकट किया, कि आर्य लोग पहिले लिखना नहीं जानते थे, तो यह भी शंका होनेलगी, कि राजा अशोककी धर्माज्ञाओं में जो “पाली" लिपि मिलती है, वह आर्य लोगोंने ही निर्माण की है, या अन्य देश वासियोंसे सीखी है.
___ इस विषयमें आर० एन० कस्ट साहिब (३) लिखते हैं, कि एशिया खण्डके पश्चिममें रहनेवाले फ़िनीशियन लोग सन् ई० से ८०० वर्ष पहिले भली भांति लिखनेकी विद्या जानते थे, उनका वाणिज्य सम्बन्ध इस देशके साथ रहने, तथा उन्हींके अक्षरोंसे ग्रीक ( यूनानी), रोमन, व सेमिटिक (४) भाषाओंके अक्षर बननेसे अनुमान होता है, कि पाली अक्षर भी फिनीशियन अक्षरोंसे बने होंगे.
सर विलिअम् जोन्स, प्रोफेसर कॉप्प, प्रोफेसर लिपसिस, डॉक्टर जिस्लर और ई० सेनार्ट आदि विद्वान् भी सेमिटिक अक्षरोंसेही हमारे यहांके अक्षरोंका बनना बतलाते हैं
(१) राजा अशोककी धर्माज्ञाओंकी भाषा पाली भाषासे मिलती हुई होने के कारण उनकी लिपिका नाम " पाली” रक्खा गया है, वास्तव में यह लिपि देवनागरीका पूर्व स्पही है, परन्त, “ पाली " नाम प्रसिद्ध होगया है, इसलिये यहांपर भी यही नाम रक्खा है, इस लिपिको “इडियन पालो" "साउथ ( दक्षिणी) अशोक ” और “ लाट" लिपि भी कहते हैं(दूस लिपिके वास्ते देखो लिपिपत्र पहिला),
(२) अफगानिस्तान और पश्चिमी पंजाब दोनों मिलकर गांधारदेश कहलाता था. इस समय अफगानिस्तान भारतवर्षसे अलग है, परन्तु प्राचीन समयमें यह भी इसीमें शामिल था. (३) रायल एशियाटिक सोसाइटीका जर्नल (जिल्द १६, पृष्ठ ३२६, ३५८ ). (४) हिब्रु, फिनौभियन, अरामिअन, आसीरिअन, अरबी, एथिोपिक आदि पश्चिमी एगिया और आफ्रिका खण्डकी भाषाओंको " सेमिटिक' अर्थात् “ नूह " के पुत्र " शेम' की सन्ततिको भाषा कहते हैं,
For Private And Personal Use Only