Book Title: Pavitra Kalpasutra
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Jashwantbhai N Shah Ahmedabad
View full book text
________________
५४
६०
६१
६१
६२
६३
६५
६८
७८
८४
८४
९२
९२
Jain Education International
सूरे वीरे
- गुंजद्धरागसरिसे कमलायरसंडविबोहए
उट्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे
तेयसा जलते य सयणिज्जाओ अब्भुइ
पीणणिज्जेहिं जिघणिज्जेहिं दप्पणिज्जेहिं मयणिज्जेहिं विहणिज्जेहि सव्विपहिं कुसलेहिं मेहावीहिं जियअहयसुमहग्धदूसरयणसुसंवुए
अंगसुहफरिस सिंग्घ. आदिपदरहित
रना वंदिय
विउलेणं पुप्फ
1- -1 આ ચિહ્ન વચ્ચેનો પાઠ
सन्निखित्ताई
उड्डभयमाण
- गंधमल्लेहिं ववगयरोगसोगमोहभयपरित्तासा जं तस्य गब्भस्स हियं मियं पत्थं गब्भ
पोसणं तं देसे य काले य आहारमाहारेमाणी विवित्तमउएहिं सयणासणेहिं परिक्कसुहाए मणाणुकू लाए
૧૨
सूरे धीरे वीरे
- गुंजद्धबंधुजीव (पारावतचलणनयणपरहुयसुरतलोयण जासुयणक सुमरासिः) हिंगुलयणियराति
रेयरेहंतसरिसे कमलायरसंडबोहर उट्टियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मितस्य य करपहारपरद्धम्मि (अंधकारे बालायव कंकुमेणं खचिय व्व जीवलोए सय णिज्जाओ अब्भुट्ठेइ II) पीणणिज्जेहिं दीवणिज्जेहिं दप्पणिज्जेहिं तिप्पणिज्जेहिं सव्वि
पत्तट्ठेहिं णिउणेहिं जिय
नासानीसासवायजोज्झचक्खुहरवन्नफरिसजुत्तहयलालापेलवातिरेगधवलकणगखचियंत
कम्मदूसरयणसंवु अंगसुहफास
सिग्घ. आदिपदसहित
रन्ना अश्चियवंदिय
विउलेणं असणेणं जाव पुष्फ
महापसु वा पछी छे
सन्निकिखत्ताईं सन्निहियाई
सब्धत्तुभयमाण
गंधमलेहि जं तस्स गब्भस्स हियं मियं पत्थं गब्भपोसणं तं देसे य काले य आहारमाहारेमाणी
विवित्तमउएहिं सयणासणेहिं पइरिक्कसुहाए मणाणुकू लाए विहारभूमीए पसत्थदोहला सम्माणियदोहला अविमाणियदोहला
For Private Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78