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मूल अनुवाद
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संधि कडवक कडवक का विषय
२२ तीर्थकर की स्तुति । २३ तीर्थंकर को वामादेवी को सौंपकर इन्द्र का स्वर्ग में आगमन । १ हयसेन के राजभवन में जन्मोत्सव । २ हयसेन की समृद्धि । ३ तीर्थकर द्वारा बाल्यकाल पार कर इकतीसवें वर्ष में प्रवेश । ४ हयसेन की राजसभा में अनेक राजाओं की उपास्थिति । ५ राजसभा का वर्णन ।। ६ सभा में दूत का आगमन । ७ दूत द्वारा कुशस्थल नगर के राजा शक्रवर्मा द्वारा दीक्षा लेने के समाचार का कथन । ८ समाचार से हयसेन को दुःख । ९ दूत का शक्रवर्मा के स्थान पर रविकीर्ति के राज्य करने तथा रविकीर्ति को यवनराज
द्वारा भेजे गये संदेश की प्राप्ति के समाचार का कथन । १० संदेश से रविकीर्ति को क्रोध । ११ यवनराज का रविकीर्ति के नगर पर आक्रमण । १२ हयसेन की प्रतिज्ञा । १३ हयसेन के वीरों में वीरता का संचार । १४ हयसेन का युद्ध के लिये प्रस्थान । १ पार्श्व का स्वतः युद्ध में जाने का प्रस्ताव । पार्श्व को समझाने के लिये हयसेन का प्रयत्न ।
व द्वारा अपने प्रस्ताव का समर्थन । युद्ध के लिये हयसेन की अनुमति । ४ पार्श्व का युद्ध के लिये प्रस्थान ।
मार्ग में हुए शुभ शकुनों का वर्णन । ६ भटों की शस्त्रसज्जा का वर्णन ।
सरोवर के समीप सेना का पड़ाव । ८ सूर्यास्त का वर्णन । ९ संध्या का वर्णन । १० रात्रि का वर्णन । ११ चन्द्रोदय का वर्णन । १२ सूर्योदय का वर्णन । १३ सेना का पुनः प्रस्थान ।
१४ रविकीर्ति द्वारा पार्श्व का स्वागत । ११ १ रविकीर्ति की सेना की साज-सजा ।
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