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शकाधिपति को मारने वाले साहसाङ्क चन्द्रगुप्त के इतिवृत्त को पढ़ने वालों के लिए तो बादल का वीर कार्य भी भारतीय परम्परा के अनुकूल है। बादल ने केवल अपने स्वामी की रक्षा की। चन्द्रगुप्त ने तो अपनी भ्रातृजाया को बचाया
और 'परकलत्रकामुक' विजयी शकराज का भी हनन किया था। शौर्य और साहस के ऐसे कार्यों से भारतीय इतिवृत्त देदीप्यमान है, और इन्हीं से भारतीय सास्कृतिक परम्परा की रक्षा हुई है।
'नवीन वसन्त'
आश्विन शुक्ला चतुर्थी, वि० सं० २०१८
হায় হামী
१-"भरिपुरेच परकलनकामुकं कामिनीवेशगुप्तश्च चन्द्रगुप्तः शकपतिम
शातयत्" (पृ. १९९-२००)। इसी पर टीका में शङ्कर ने लिखा है, "शकानामाचार्य शकाधिपति । चन्द्रगुप्तभ्रातृजायो ध्रुवदेवी प्रार्थयमानश्चन्द्रगुप्तेन ध्रवदेवी वेषधारिणा स्त्रीवेपजनपरिवृतेन रहसि व्यापादित इति ।"