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__ पद्मिनी चरित्र चौपई ]
[१०७ इति श्री शील प्रभाव पद्मिनी चरित्रे ढाल भाषा वंधे श्री रतनसेन रावल तास सुभट गोरा बादल रिण
__ जय प्रतापैः तृतीय खण्ड सम्पूर्णम् सकल पण्डितोत्तम प्रवर प्रधान शिरोवतंस पंडित श्री ५ श्री कल्याणसागर गणि तच्छिष्य पंडित श्री ५ हर्षसागर गणि तशिष्य पंडित श्री सकल सभा श्रृङ्गार शिरोमणि रत्न पंडित श्री १९ श्री हीरसागर गणि . .. . . . श्री ५ श्री गुणसागर गणि। तच्छिप्य पुण्यसागरेण लिखितेयं ।। सं० १७६१ वर्षे आशु वदि १० भोमे दड़ीवा मध्ये लिखितं ॥ श्रीरस्तु ॥ कल्याणमस्तु । श्री भद्रमस्तु ॥ शुभ भूयात् श्री ॥ श्री ॥ श्री ॥ श्री ॥ श्री ॥ प्रति नं० ३८१४ (वं०८२) श्री अभय जैन ग्रन्थालय बीकानेर । पत्र २० अंतिम पत्र १ तरफ खाली। पंक्ति १५ अक्षर ५६-६० प्रति पंक्ति । अतिम पत्र थोडा नष्ट | (२) इति श्री पद्मिनी चरित्रे ढाल भापा बध उपाध्याय श्री ५ ज्ञानसमुद्र गणि गजेन्द्राणा शिप्य मुख्य विद्वद्वाज श्री श्री ज्ञानराज वाचकवराणा शिष्य पं० लब्धोदय विरचिते कटारिया गोत्रीय मत्रिराज हसराज म० श्री श्री भागचद्रानुरोधेन श्री गोरा वादल जयत प्रापणो नामस्तृतीय खण्ड । तत्समाप्तौ समाप्तमिदं श्री पद्मिनी चरित्र तद्वाच्यमान श्राव्यमान चिरं नढतादाचद्रार्क यावत् लिपि कारिता च सुश्रावक पुण्यप्रभावक