Book Title: Padmini Charitra Chaupai
Author(s): Bhanvarlal Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner

View full book text
Previous | Next

Page 286
________________ २०६1 [गोरा बादल चौपई VAAAAA कवित्त सुभट सुभट सुं लड़ग, पडग तिहाँ खड़ग भडाभड़, जुड़ग-जुड़ग जहाँ जुडग, जुडग तहाँ खड़ग धड़ाधड। मुड़ग मुडग तहाँ मुड़ग, मुडग कोउ अंग न मोडग, गहर गहर गल दंत, भुजे भूपति गह तोड़ग । संग्राम राम-रावण-सुपरि, जुड़े ज्वान ऐसी जुगति, सलसले सेस, सायर सलल, धड़हड़ कंप्यो धवलहरि ॥ १३५ ।। कवित्त चावक चंचल लाइ, उलट अपने दल आवै, नेजा लेकर हाथ, जोर दुसमन-सिर लावै । नाठे तवहि गयंद, तोफ भीड़ा फड़ पड़ियो, मारे मुगल अपार, बाल वादल इम लड़ियो। खुर-खेह सूर झंपत लियो, रेन-दिवस समसिर भयो, छुटकाय वंध, चाढिय तुरिय, राय भेज घर को दियो ।। १३६ ॥ भारथ भयो अपार, साट सूरों के तूटे, मारे ते रिण माझ, जिना के कालज खटे । बहुत मुए रजपूत, तुरक को अंत न लहिये, चले रुधिर के खाल, तीन लोकन मे कहिये।। भागत मतंग-गज-थाट जब, अपछर मंगल गाझ्यो, रणजीत, राय छुटकाय के, तब वादल घर आइयो ॥ १३७ ॥ वादल की आरती आय, पदमनी उतारै, मुकताफल भर थाल, भरी सिर ऊपर वारे।

Loading...

Page Navigation
1 ... 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297