Book Title: Padmini Charitra Chaupai
Author(s): Bhanvarlal Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner

View full book text
Previous | Next

Page 287
________________ गोरा बादल चौपई] [२०७ वहुयड़ दे आसीस, जीव तूं कोड वरीसा, सूरवीर वंकडा, तूम गुण गावे ईसा । बलिहारी तस नांव पर, जिण कत हमारो मेलियो। गोरा गयंद वादल विकट, धन धन जननी जनमियो ॥ १३८ ॥ दहा बादल सँ नारी कहै, हूं बलिहारी, कंत । तं खग मायो साह-सिर, दे चरणां गजदंत ।। १३६ ।। पिय मुख पूँछत प्रेम सुँ, धन बादल भरतार। वोल निवाह्यो आपणों, सूर जपें जयकार ।। १४० ॥ काकी बादल सों कहै, गोरल नायो काय । भिड मूवी के भाजि के, सो मुझ बात सुणाय ॥ १४१ ॥ गोरा गिर सू धीर, भिड़े न भाजे भूम तें। मार चलावै मीर, मगर चलावै तीर तें ॥ १४२ ॥ जाके लाए अंग, रंग निकासे ते जड़ग। मारे मनुख तुरंग, गोरा गरने सिघ न्यू॥ १४३ ॥ भला हुआ जे भिड़ मूवा, कलंक न आयो कोय । जस जपे श्री जगत मे, हिव रिण ढढ़ो जोय ॥ १४४ ॥ रिण ढूढे नारी तहाँ, साथे सगला लोइ । सीस न पावै, सो कहा, अंबर वाणी होइ ॥ १४५ ॥ कवित्त गोरे का सिर ताँम, तुरत तिण गिरझ उठायो, मुखते छूटो गिरम, ताँम देवगना पायो। ॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297