Book Title: Padmini Charitra Chaupai
Author(s): Bhanvarlal Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner

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Page 279
________________ गोरा बादल चौपई ] [१६४ कवित्त बादल बोल्यौ ताम पाँचसै डोला कीजै, तिन में बैठे दोइ च्यार कै काँधै दीजै। तिन मे सव हथियार अश्व कोतल करि आगे, कहे. देह पदमनी, तुरक नेड़े नहिं लागे। कटिये बन्धन राय के भुजबल परदल गाहिजे, दीजिय न पूठ द्रढ़ मूठ करि खग्ग साह-सिर वाहिजे ॥ ८८॥ बादल मंत्र उपाइयो, सबके आयो दाय, याहि वात अब कीजिये, बोले राणा राय ॥ ८ ॥ कवित्त तुरत बुलाये सुत्रहार, डोले संवराए, तिन ऊपर मुखमली, गुलफ आछे पहिराए । बेठाये विच सूर, सूर कै काँधै दीजै, तिन-मह सव हथियार, जरह अर जोर न ई जै। अराकी साज, सवार के, बादल मंत्र उपाइयो, वक्कील एक रावल मिलन, पुह सुलतान पठाइयौ ॥ १०॥ दूहा रावल देवत पदमनी, आज तुझे, सुलतान, भेट इसी बहु भॉति सों, खुसी भयो सुलतान ॥६१ ॥ कहै ताम अल्लावदी, सुणि वकील, चित लाय, वेग ले आवो पदमनी, वादल सुकहो जाय ।।२।।

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