Book Title: Padmini Charitra Chaupai
Author(s): Bhanvarlal Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner

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Page 249
________________ रत्नसेन-पद्मिनी गोरा बादल संवन्ध खुमाण रासो] [ १७१ राघव तणो हुओ मुख स्यांम, कूड कियो पिण न मरो काम सामद्रोह पातिक परगट्यो, अकल गईने पोरस मिथ्यो ।।६।। साम काम समरथ अतिसूर, गोरो रावत अतिहें गरूर । अरीदल देखी तन उलस, सुभट सहू मन माहें हसें ।। ६४ ।। सूरातन चढ़िया सिरदार, ऊंचा खग जलहल जूझार । दलां विभाडण दूठ दुवाह, रुक हत्त्या दी रिम राह ।। ६५ ।। च्यार सहस निसरिया सूर, एक एक थी अति कस्र । आगुवाणे वाटल गेह, पूठे सांमंत थाट सह ।। ६६॥ घाघट दीसे भिड धणा, सिलह टोप करी रुद्रामणा । धमिया छटी ले तरवार, हलकारे लागा हलकार ॥ ६७ ।। रे रे असपति उभो रह, हिवें नामि मत जावो वहें। म्ह पढमणि आंणी छ जिका, तोनें हिव देखाडा तिका ।। ६८ ॥ तोने खांत अछे तिण तणी, पदमणि नार निहालण तणी । हट हमीर जाणो तो सही, लडें अमा सु अवसर ग्रही ।।६।। इम कहंता भिड आया जिसे, आलिम दीठा अरियण तिसें। एहवी वात कहें पतिसाह, रिण रमियो उठियो रिम राह ।।७।। रे रे कृड कियों वादलें, हिदू आय वाल्या साकलें । हलकारा अमपति निज जोध, धाया किलकी करि करि क्रोध || माहों मांह मंडाणो किलो, वोलें असपति सुवादलो। पातिसाह मत छाडो पाव, तेरा कूड अमीणा घाव ।। ७२ ।।

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