Book Title: Padmini Charitra Chaupai
Author(s): Bhanvarlal Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner
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_[गोरा बादल चौपई पीन पयोहर कठिन, वचन अमृत मुख बोल, जंघा कदली-खंभ, गिडत गंवर गति डोल। संभोग-रीत जॉनत सकल, नित सिंगार-भीनी रहै अल्लावदीन सुलतान सुन, कवि चित्रन-लच्छन कहै ॥३७॥
(अथ हस्तनी वर्णनन् ) हेत वहुत हस्तनी, केस अति कुटिल विराजत, द्रिग देखत मृग नैन, चपल अति खंजन लाजत । कनकलता कामनी, बीज दाडिम दसनावत, पहुप वेस पहरंत, कंत अति हेत सुहावत । अति चतुर, कुच्च कंचन कलस, काम केलि कामिन करे, अल्लावदीन सुलतान सुण, ए लच्छन हस्तन धरै ॥३८॥
( अथ सखनी वर्णनम् ) जटा जूट जोखता, वदन विकराल विकल अति, सुक्कर देह, सरोस, स्वाँन जू सदा घुरकति । गर्दभ-गति, गुनहीन, परै ढरि पीन पयोहर, मंछ-गंध, तन मलन, चुल्ह समतूल भगंदर । अति घोर निद्र, आलस अधिक, अति अहार, गज अंखनी, अल्लावदीन सुलतान सुण, ए लच्छन त्रिय संखनी ॥३॥
श्लोक पद्मिनी पद्म मध्येषु, कोटि मध्येपु चित्रणी, हस्तनी सहस्र मध्येषु, वर्तमानेषु संखनी ॥४०॥

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