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क्यो वे, हमारे महल मे सभा सखिनी है ? पद्मिनी एक भी नहीं ? खोजे ने कहा-यह तो लक्षण, भेदादि के शास्त्र-मर्मज्ञ राघवचेतन ही वतला सकते है ! सुलतान के पूछने पर व्यास ने चारों प्रकार की स्त्रियों के गुण-लक्षणादि विस्तार से समझाये। सुलतान ने अपने महल की स्त्रियों की परीक्षा कर पद्मिनी जाति की स्त्री बताने की आज्ञा दी और उनका प्रतिबिंब देखने के लिए मणिगृह का आयोजन किया। राघवचेतनने सवको देखकर कहा कि आपके महल मे एक एक से बढ़कर रूपवती हस्तिनी, चित्रणी तो है, पर पदमिनी स्त्री एक भी नहीं है।
सुलतान ने कहा--विना पदमिनी स्त्री के मेरा जीवन ही वृथा है, पद्मिनी स्त्री कहाँ मिलेगी ? व्यास ! मुझे बतलाओ! राघव चेतन ने कहा-सिंघलद्वीप मे पद्मिनी स्त्रियाँ होती है। तो सुलतानने १६ हजार हाथी और २७ लाख अश्वारोही सेना के साथ सिंहलद्वीप की ओर प्रस्थान कर दिया। समुद्र-तट पर पहुंचने पर हठी सुलतान ने सिंहलपति पर आक्रमण करके गिरफ्तार करने की आज्ञा दी। सुभट लोग नौकाओं में वैठ कर दरिया के बीच गए तो भँवरजाल में पड़कर वाहण टूट-फट गए। सुलतान ने कुपित होकर और सुभटों को भेजने की आज्ञा दी। उसे केवल एक ही धुन थी कि लाखों सेना भले ही समुद्र में समाप्त हो जाय, पर सिंहलपति को अवश्य हराकर पदमिनी प्राप्त की जाय। सुभटों ने राघव चेतन से कहा