________________
( ५४ )
दिया तो अब किसी प्रकार का भय न लाकर निश्चिन्त रहें ! आप जैसी रानी को देकर राजा को छुड़ाने का घटिया दाव खेलने से तो मर जाना ही श्रेयष्कर है। रानी ने कहा-इस तुच्छ वुद्धि के धनी तो राजा की तरह गढ को भी खो बैठेगे ! अतः इसीलिए मैं तुम्हारे शरण में आई हूँ। गोरा ने कहा(तो ठीक है) मेरा भाई गाजण बड़ा भारी शूर वीर था, उसके पुत्र वादल से भी चल कर सलाह कर ली जाय।
गोरा और पद्मिनी, वादल के यहा गए। उसने सविनय जुहार करते हुए आने का कारण पूछा। गोरा ने सारा वृतान्त बताते हुए कहा कि-अपन दो व्यक्ति किस प्रकार शाही सेना को शिकस्त दें। पद्मिनी ने कहा भैया मैं तुम्हारे शरणागत हूँ, यदि बचा सको तो बोलो, अन्यथा एक वार मरना तो है ही, में हर हालत में अपनी शील रक्षा तो करूंगी ही। पद्मिनी की प्रेरणा दायक बातें सुनकर बादल ने तत्काल राणा को छुडा लाने की प्रतिज्ञा की। पद्मिनी कृत-कार्य होकर अपने महल लौटी। बादल की माता और स्त्री ने उसे इस दुस्साहसपूर्ण प्रतिज्ञा से विचलित करने के लिये नाना मोह जाल फैलाया पर उस दृढ़-प्रतिज्ञ बादल को विचलित करना तो दूर, उलटे वीरोचित प्रेरणा उत्साह दिला कर अपने हाथों हथियार बँधा कर विदा करना पड़ा। वह काका गोरा के पास अश्वारूढ़ होकर कार्यक्षेत्र मे उतरने की आज्ञा माँगने के लिए गया। जब गोरा ने उसे अकेले न जाने का कहा तो बादल ने उसे