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पद्मिनी चरित्र चौपई]
आलिम' आया दूत वे, बूलाया देइ मान । आलिम साहि तणा वचन, ते परकासै परधान ।।२।। आलिमसाहि अलावदी, मूक्या करिवा प्रीति ।
मानो जो ए मंत्रणो, तो रंग वाधइ बहुप्रीति ।।३।। ढाल ( ८ ) मेवाड़ी राजा रे चीत्रोडी राजा रे, एहनीमुझ मानो वाता रे जिम होवे धाता रे,
वले एहवी रे घाता धाता दोहरी रे ॥ १ ॥ साहि पदमणि तेड़े रे, तुम राजा छोड़े रे,
वहु कोडै कर तोड़े बेड़ी लोहनी रे ॥२॥ गढ कोट भंडारा रे, धन सोवन तारा रे,
हय गेवर सारा माणिक जवहरु रे ।।३।। अवर नहिं मागे रे, तुम देश न भाग रे,
मांगे मन रंगे पदमणी मनहरु रे॥४॥ मन माहि विचार रे, बहु जूझ निवार रे,
जो तुम देस्यो नारी सारी पदमणी रे ।।५।। तो देस्यो राजा रे, धन मानै ताजा रे,
नहिं छूटण इलाजा बीजा तुम धणी रे ॥६॥ जो वातें सीधी रे, राणी नवि दीधी रे,
. तो हो गढ तोड़ें नाखुईण घडी रे॥७॥ भाजे तुम देस्यां रे, भागी ट्रक' करेस्या रे
तुम राज हरेस्या तुम सेती लड़ी रे ॥ ८॥ + तिहा ने तेदो मृकि नै २ बहुमान ३ तुम ४ अलम ५ भकभूर