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( ४२ ) इस ग्रंथ के पृ० १०६ में गोरा वादल कवित्त प्रकाशित किया गया है, जिसकी प्रति हमारे सग्रह मे है। लब्धोदय कृत चौपई की प्रति हमारे संग्रह की है, जिसके पाठान्तर गुलावकुमारी लाइब्रेरी, कलकत्ता स्थित बड़ौदा के गायकवाड ओरयण्टलइन्स्टीट्य ट की नकल से दिये गये है। हमारे आदरणीय मित्र डा० दशरथ शर्मा ने अनेक कार्यों में व्यस्त रहते हुए भी भूमिका रूप मे “रानी पद्मिनी--एक विवेचन" शीघ्र लिख भेजा था, पर ग्रथ का कलेवर बढ़ जाने से उसमे और अभिवृद्धि करने के लिए उन्हे दिया गया था, जिसे उन्होंने यथासमय ठीक कर भेजा पर वह डाक की गड़बड़ी मे गुम हो गया। तब उसे पुनः नये रूप मे लिख कर भेजने का कष्ट किया है। पूज्य काकाजी श्री अगरचन्द्रजी नाहटा तो इसके श्रेय के वास्तविक अधिकारी
है ही, अतः इन सभी आदरणीय विद्वानों के प्रति हार्दिक __ कृतज्ञता व्यक्त करने के हेतु उपयुक्त शब्द मेरे पास नहीं है, वह
तो हृदय की भाषा जाननेवाले सुवीजन स्वतः अवगाहन कर लगे। सुनेषु किं बहुना,
कलकत्ता पौष कृष्णा १० पार्श्वनाथ जन्म दिवस )
मॅवरलाल नाहटा