________________
(
४४
)
आजकल भोजन विलकुल निरस और स्वादरहित होता है। तुम्हारी चतुराई कहा चली गई ? रानी ने तमक कर कहा-मैं तो कुछ भी नहीं जानती, मेरे में चतुराई है ही कहां ? स्वादिष्ट भोजन के लिए नवीन पद्मिनी न्याह कर ले आइये। रानी प्रभावती के वाक्य राणा के हृदय में तीर की तरह चुभ गए, वह भोजन त्याग कर उठ खड़ा हुआ और रानी का मान मर्दन करने के निमित्त पद्मिनी से पाणिग्रहण करने के हेतु बढ़प्रतिज्ञ हो गया।
राणा ने दो घोड़ों पर बहुत सा धनमाल लेकर खवास के साथ गुप्तरूप से चितौड़ से प्रस्थान किया। जब वे बहुतसी भूमि उल्लंघन कर गये तो सेवक के पूछने पर राणा ने अपनी यात्रा का उद्देश्य प्रगट किया, पर दोनों ही व्यक्ति पद्मिनी स्त्री का ठाम ठिकाना नहीं जानते थे। उन्होंने एक वृक्ष के नीचे विश्राम किया तो एक भूख-प्यास से व्याकुल पथिक आकर राणा के चरणों में उपस्थित हुआ। राणा ने उसे खान-पान और शीतोपचार से संतुष्ट किया और स्वस्थ होने पर पूछा कि तुमने कहीं पद्मिनी स्त्री का ठाम-ठिकाना देखा-सुना हो तो बताओ। पथिक ने कहा-राजन् । दक्षिण समुद्र के पार सिंघलद्वीप मे अप्सरा की भाति पद्मिनी स्त्रियाँ होती है | राणा ने दक्षिण का मार्ग पकड़ा और नाना जंगल पहाड़ों को उल्लंघन करता हुआ खवास के साथ समुद्र तट पर पहुंचा। .