________________
( ३८ )
ग्रंथ' नामक लेख द्वारा जटमल की समस्त रचनाओं पर सर्व प्रथम प्रकाश डाला।
कवि जटमल नाहर ने अपना परिचय अपनी रचनाओं में इस प्रकार दिया है :(१) धरमसी को नन्द नाहर जाति जटमल नाउ ।
तिण करी कथा बणाय के, विचि सिंबला के गाउ ।।
इति जटमल श्रावक कृता गोरा वादल की कथा संपूर्णा (२) वसै अडोल 'जलालपुर', राजा थिरु 'सहिबाज',
रइयत सयल वस सुखी, जब लगि थिर ध्र राज, ८३ तहाँ वसे 'जटमल लाहोरी', करने कथा सुमति मति दोरी, 'नाहर' वस न कछु सो जानै, जो सरसती कहै सो आने, ८४
इति प्रेमविलास प्रेमलताह सवरसलता नाम कथा नाहर गोत्र श्रावक जटमल कृता ( सं० १७५३ लिखित प्रति)
इस से सिद्ध होता है कि कवि जटमल लाहोर निवासी जैन श्रावक थे और नाहर गोत्रीय थे। आपके रचित (१) गोरा बादल कथा की रचना सं० १६८० में सिंवला ग्राम में हुई है जिसे स्वामी नरोत्तमदासजी व सूर्यकरणजी पारीक द्वारा सम्पादित कापी से यहा साभार प्रकाशित किया जा रहा है। दूसरी कथा प्रेमविलास प्रेमलता की रचना स० १६६३ भाद्रपद शुक्ला ४ रविवार को जलालपुर मे हुई है। (३) वावनी-पजावी भापा के ५४ पचों मे है, इसे 'पंजाबी दुनिया' मे गुरुमुखी मे छपवा दिया है। (४) लाहोर गजल-इसमे लाहोर नगर का