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लर
जन्म समय और दीक्षा
कवि की सर्वप्रथम रचना पदिमनी चरित्र चौपई स० १७०६. में प्रारम्भ होकर सं० १७०७ चैत्री पूनम के दिन सम्पूर्ण हुई है । इस समय ये गणि पद से विभूषित थे, अतः उनकी आयु २७ वर्ष के लगभग होना संभव है इससे इनका जन्म सं० १६८० के लगभग माना जा सकता है। आपका जन्म नाम लालचन्द था उस समय दीक्षा प्रायः लघुवय में ही हुआ करती थी अतः दीक्षा का समय स० १६६५ के आसपास होना चाहिए। और आपका दीक्षा नाम लब्धोदय रखा गया था। अध्ययन और विहार
आपकी गुरु-परम्परा एक विद्वद्-परम्परा थी। विनयसमुद्र वाचक पद से विभूपित थे। उनके शिष्य वाचक गुणरत्न तो जैन साहित्य के अतिरिक्त साहित्य और तर्कशास्त्र के भी अद्भुत विद्वान थे। इनके रचित १ काव्यप्रकाश टीका (श्लोक १०५००),. २ सारस्वत टीका ( क्रियाचन्द्रिका ४००० श्लोक) ३ रघुवंश सुबोधिनी टीका (६००० श्लोक), ४ तर्कभाषा (गोवर्द्धनी प्रका-- शिका-तर्क तरगिणी श्लो० ७४५०) ५ शशधर के न्याय सिद्धान्तः पर टिप्पण ६ मेघदृत पंजिका ७ नमस्कार प्रथम पद अर्थ के अतिरिक्त १ संयतिसंधि २ श्रीपाल चौपई, दो राजस्थानी काव्या उपलब्ध हैं। इनमे से 'तर्कतरंगिणी' की एकमात्र प्रति ब्रिटिश म्युजियम, लंदन में है और न्यायसिद्धान्त' की सम्पूर्ण प्रति अनूपसंस्कृत लाइब्रेरी, बीकानेर में है। 'मेघदूत पंजिका' की भी