Book Title: Nal Damayanti Author(s): Purnanandvijay Publisher: Purnanandvijay View full book textPage 6
________________ "Do not kill any body' का सत्यार्थ भी यही है कि, जीवमात्र के प्रति मारकाट, ईर्ष्या, वैरझेर तथा गंदे भावों का त्याग करना। देव, देवल, मंदिर, मस्जिद तथा चर्च में जाने का कारण यही है कि, नर नारायण बने, जीव शिव बने, आत्मा-परमात्मा बने और खुद में से खुदा बने तदुपरान्त किसी भी जाति के, देश के, और संप्रदाय के इन्सान में से 'Dog' तत्व नाबुद होकर God भाव की प्रादुर्भूति होने पावे / “सीमाधरस्स वन्दे" की फलश्रुति है, पापमार्ग में, गन्दे भाव में, असभ्य चेष्टा में तथा जीवन के पतनमार्ग में गई हुई इन्द्रियों को, मन को, शरीर को बचाकर उन्हें Him Self अर्थात् कंट्रोल में लेने, मर्यादा में लेने तथा संयमित करने के अलावा दूसरा धर्म कौनसा ? बस ! यही है, देव दुर्लभ मानवावतार की मानवता जो मनुष्य शरीरधारी सभी के जीवन में विकसित बने इसी मानवीय भावना के साथ विराम लेता हूँ। ____ नलदमयंती का जीवन ही सभी का ध्येय बने, लक्ष्य बने तथा ध्रुव का तारा बने यही हितकामना है / पुस्तक छपवाने में द्रव्य सहायक बननेवाले भाग्यशालीयों को खूब-खूब धन्यवाद है / प्रेस के मालिक को भी धन्यवाद है / लि., पं. पूर्णानन्द विजय (कुमारश्रमण) C/o. श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर नवीचाल, भिवंडी (थाना) 421302 2043 कार्तिक पूर्णिमा P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak TrustPage Navigation
1 ... 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 ... 132