Book Title: Mukti ka Amar Rahi Jambukumar Author(s): Rajendramuni, Lakshman Bhatnagar Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay View full book textPage 9
________________ विगत दीर्घ काल से रही थी। और उसी के प्रयत्न ने इस पुस्तक के रूप मे आकार ग्रहण किया है । यह प्रयत्न नही, मार्य जम्बू स्वामी की पवित्र स्मृति के प्रति हमारा वन्दन-अभिनन्दन है। निज कवित्त नित लागहि नीका .......' अत पुस्तक के विषय मे तो स्वय सुधी पाठक गण ही मूल्याकन का उचित अधिकार रखते है, वे ही इस दृष्टि से सक्षम भी है। इस कार्य मे जो दोप रह गये हो उनका दायित्व लेखक का है, किन्तु यदि इसमे कतिपय विशेषताएँ, सुन्दरता अथवा उत्तमृता दृष्टिगत हो तो उस सबका श्रेय परम सम्मान्य गुरुदेव राजस्थानकेसरी, आध्यात्मयोगी उपाध्याय श्री पुष्कर मुनिजी महाराज एव प्रसिद्ध जैन चिन्तक, व्याख्याकार एव साहित्य मर्मज्ञ पूज्य गुरुदेव श्री देवेन्द्रमुनिजी को है। आपकी प्रेरणा और कुशल मार्गदर्शन से ही यह सम्भव हो पाया है। भ्राता श्री रमेश मुनिजी का भी सहयोग प्राप्त हुआ हैउनके लिए मैं उसके प्रति आभार-स्वीकार करता हूँ और प्रोफेसर लक्ष्मण भटनागरजी को भी इस अवसर पर विस्मृत नहीं किया जा सकता जिनकी सहायता से पुस्तक को प्रस्तुत स्वरूप दिया है। मेरा उनके प्रति साधुवाद है । पुस्तक के विषय मे पाठको के अभिमत से अवगत होने की सदा ही अभिलाषा रहेगी । ---राजेन्द्र मुनि मPage Navigation
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