Book Title: Mrutyu ki Dastak
Author(s): Baidyanath Saraswati, Ramlakhan Maurya
Publisher: D K Printworld Pvt Ltd, Nirmalkuar Bose Samarak Pratishthan
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________________ बौद्ध धर्म - मृत्यु की अवधारणा 25 मृत्यु के कारणों की अधिकता अनेकविध विघ्नों से घिरे प्राणियों की आयु वायु से बने पानी के बुलबुले की भाँति नितान्त अस्थिर है। तत्काल विलीन न होने पर भी लम्बे समय तक स्थित रहने की शक्ति न होने के कारण यह असार शरीर विश्वास करने लायक कतई नहीं है। मृत्यु के अत्यधिक कारण मृत्यु से कहीं भी, कभी भी छूट न सकना ऐसा कोई स्थान संसार में नहीं है, जहाँ मृत्यु न हो सके। आकाश में उड़कर दूर तक जा सकने में समर्थ ऋद्धिसम्पन्न ऋषि-महर्षि भी उस स्थान पर नहीं जा सकते, जहाँ मृत्यु न हो। ऐसा सोचना चाहिए कि जब वज्र के समान मजबूत बुद्ध का शरीर भी नष्ट हो जाता है तो हमारा यह निःसार शरीर क्योंकर नष्ट नहीं होगा। उपर्युक्त प्रकार से चिन्तन करते हुए भावना से मरणानुस्मृति शीघ्र सम्पन्न होती है और मृत्यु के समय किसी प्रकार का भय एवं कष्ट नहीं होता।