Book Title: Mrutyu ki Dastak
Author(s): Baidyanath Saraswati, Ramlakhan Maurya
Publisher: D K Printworld Pvt Ltd, Nirmalkuar Bose Samarak Pratishthan
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________________ 130. मृत्यु की दस्तक एक और प्रसिद्ध दार्शनिक इमेन्यूल कांत के विचार से “तर्क द्वारा आत्मा को सिद्ध नहीं किया जा सकता” अतः मन को ही निर्णय करना होगा कि आत्मा का अस्तित्व है, और इस निष्कर्ष के बाद ही नैतिकता और धार्मिकता का विकास संभव होगा। आगे बीसवीं सदी के प्रारंभ में विलियम जेम्स ने स्थापित किया कि आत्मा नहीं है - केवल मन की कपोल-कल्पना मात्र है। भारतीय दर्शन भी मानता है कि शरीर एक रथ है जिसमें इन्द्रियों के घोड़े जुते हैं और आत्मा रथी है। इस आत्मा और शरीर की कल्पना में एक और विचार जोड़ लें कि क्या मृत शरीर पुनः जीवित हो सकता है? क्योंकि इसी मान्यता के आधार पर मिस्र में शवों का ममीकरण किया गया, शवों को दफन किया गया और प्रतीक्षा काल की अवधि के लिये सुख साधन का प्रबंध किया गया। अन्य लोगों ने शरीर को नश्वर मानकर कहा यह पंच-तत्त्व से बना है अतः इसे अग्नि को समर्पित कर प्रकृति के तत्त्वों को लौटा देना चाहिये। रही “आत्मा' की बात तो मरणोपरांत उसकी यात्रा की कल्पना भी कर डाली। __ मृत्यु का क्षण आज भी उतना ही अलौकिक, रहस्यमय और भयकारक है। सही है कि हर व्यक्ति मृत्यु का सामना अपने ढंग से करता है, शहीद हंसते हुए फांसी चढ़ जाता है, मंसूर को सूली चढ़ते हुए लगा कि उसकी शादी हो रही है, संत शांत भाव से मृत्यु का वरण करते हैं, तो दूसरे कांपते हैं, आतंकित हो गुहार करते हैं कि बचा लो, पर वह निर्मम कुछ भी नहीं सुनता। मृत्यु कैसी है? क्या मरने में बहुत कष्ट होता है या सिर्फ चिरनिद्रा है, सहज और सुखद है? इन प्रश्नों का उत्तर नहीं मिलता, क्योंकि जो उस पार गये लौटकर नहीं आये। अवश्य ही कुछ लोग मरने के बाद जी उठे हैं और मरणोपरांत अनुभव बताते भी हैं, पर उनके अनुभव की मान्यता कहाँ तक है यह भी एक प्रश्न है। एक बात एक हद तक सही प्रतीत होती है कि यदि मृत्यु चिरंतन निद्रा है और नींद आने में कोई कष्ट नहीं होता तो फिर मृत्यु में क्यों होगा? यदि शरीर से अलग कोई चैतन्य आत्मा है तो इसका कोई प्रमाण नहीं है। आदिवासी अवश्य मानते हैं कि ओझा आत्मा चुरा लेते हैं, दूसरे ओझा आत्मा को पकड़ने के उपकरण बनाते हैं। वे यह भी मानते हैं कि निद्रावस्था में आत्मा शरीर से निकलकर सैर करने चली जाती है। मृत्यु का आगमन पुरानी कल्पना में मृत्यु देवता यम और उनके स्वरूप की, यमदूतों के स्वरूप की कल्पना की गयी है, भारत ही नहीं सर्वत्र ही। यमराज भैंसे पर बैठे, भयंकर रूप वाले होते हैं, उनके साथ उनके लिपिक चित्रगुप्त भी होते हैं जो सभी का लेखाजोखा रखते हैं। जीवन की अवधि शेष होने पर यम के दूत लेने आते हैं - ये भी सींग.पूंछधारी भयंकर राक्षस रूप होते हैं। उनके हाथ में आत्मा को बांधने के लिये फंदा और गदा भी होती है। पुराणकारों ने कल्पना की