Book Title: Mrutyu ki Dastak
Author(s): Baidyanath Saraswati, Ramlakhan Maurya
Publisher: D K Printworld Pvt Ltd, Nirmalkuar Bose Samarak Pratishthan
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________________ मृत्यु की अवधारणा - इस्लाम की दृष्टि में इसी तथ्य को एक प्रामाणिक हदीस में भी वर्णित किया गया है। उसामा विन जैद वर्णन करते हैं कि नबी स. की एक बेटी ने आप स. के पास यह संदेश भेजा कि उसका बेटा मृत्यु के करीब है। नबी स. ने संदेशवाहक से कहा कि वापस जाकर मेरी बेटी से बता दो कि “जो लिया वह अल्लाह ही का था और जो दिया वह भी अल्लाह ही का था। उस (अल्लाह) के यहां प्रत्येक चीज का एक समय निश्चित् है। तुम उसे धैर्य धारण करने एवं सुफल प्राप्ति की आशा रखने का निर्देश दो।” (बुखारी मुस्लिम) हश्र (निर्णय का दिन) आवश्यक है इस्लाम की मूल आस्थाओं में एक आस्था यह है कि मृत्यु के पश्चात् जब न्याय का दिन स्थापित होगा तब सम्पूर्ण मानव एवं जिन्न को पुनः जीवित करके न्याय के लिए उन्हें एकत्र किया जाएगा। निर्णय के पश्चात् उन्हें स्वर्ग या नर्क का अधिकारी बनाया जाएगा। यही वर्णन कुछ इस प्रकार है - (क्या तुम यह विश्वास किये हो कि हमने तुम्हें यूं ही निरर्थक उत्पन्न किया है, और यह कि तुम हमारे पास लौटाए ही न जाओगे।) अल्लाह वास्तविक शासक है तथा बहुत महान् है, इसके अतिरिक्त कोई उपास्य नहीं, वही अर्श (अल्लाह का विशिष्ट आसन) का स्वामी है। (23 अल मोमेनून, 115, 116) . मरने के पश्चात् पुनः जीवित किये जाने में जो लोग विश्वास नहीं रखते, पवित्र कुरआन ने उनका उत्तर दिया है कि मृत्यु के पश्चात् भी जीवन आवश्यक है क्योंकि उसी जीवन में मनुष्यों को उनके कार्यों का बदला दिया जाएगा। कुरआन कहती है - और उन्होंने कहा, क्या जब हम मिट्टी में मिल जाएंगे तो क्या पुनः जीवित होंगे। बल्कि (बात यह है कि) वह लोग अपने परवरदिगार (ईश्वर) से भेंट होने की आस्था को नकारते हैं। कह दीजिए कि तुम्हें मृत्यु का फरिश्ता मृतक करेगा जो इस कार्य के लिए नियुक्त है। पुनः तुम सब अपने पालनहार के पास लौटाए जाओगे। (32 अस्सजह, 10,11) जीवन और मरण मात्र परीक्षा के लिए सांसारिक जीवन अस्थाई है। जब मनुष्य मृतक हो जाएगा तब इस जीवन का अन्त होगा, पुनः एक स्थायी जीवन प्राप्त होगा, जिसमें मनुष्य दंड या अच्छा प्रतिफल भोग करेगा। इस संसार में जीवन एवं मरण का जो प्रबन्ध स्थापित है उसका उद्देश्य इस प्रकार वर्णित है - जिसने जीवन-मरण इसलिए व्यवस्थित किया कि तुम्हारी परीक्षा ले कि तुममें से कौन पुण्य कार्य करता है। (29 अल मुल्क, 2) .. मृत्यु कहां होगी? - किसी की मृत्यु कैसे, कहां और कब आएगी? इसे कोई नहीं जानता है। इस तथ्य को कुरआन की एक आयत में व्यक्त किया गया है - निःसंदेह अल्लाह ही को कयामत की जानकारी है। वह ही वर्षा करता है और माँ के गर्भ में जो कुछ है जानता है। कोई भी नहीं