Book Title: Mrutyu ki Dastak
Author(s): Baidyanath Saraswati, Ramlakhan Maurya
Publisher: D K Printworld Pvt Ltd, Nirmalkuar Bose Samarak Pratishthan
View full book text
________________ 102 मृत्यु की दस्तक था। फलस्वरूप इनके पिता का देहान्त इनकी बाल्यावस्था में हुआ था। इसी तरह यदि लग्न व चौथे स्थान में राहु हो और शत्रु राशिगत बृहस्पति हो तो पिता की मृत्यु जातक के 23वें वर्ष में होती है। जातक के जन्म के अनुसार स्त्री-पुरुष के भी अनेक योग होते हैं जिनमें एक योग ऐसा भी है - यदि पुरुष कुण्डली में कन्या लग्न का जन्म हो और उसमें सूर्य हो तथा सप्तम स्थान में मीन का शनि हो तो शनि की दशा में स्त्री की मृत्यु होती है। इसी तरह दूसरा योग यह भी है - किसी पुरुष कुण्डली में मंगल छठे स्थान में हो, सातवें में राहु और आठवें में शनि हो तो ऐसे व्यक्ति की स्त्री जीवित नहीं रहती। यदि जन्म लग्न कन्या हो और मंगल मकर राशिगत हो तो ऐसे व्यक्ति के कई संतानों की मृत्यु होती है। पंच स्थानगत मंगल पुत्र के लिए सर्वदा हानिकारक होता है। यदि मंगल पंचम स्थान के प्रथम तृतीयांश (10 अंश) के नीचे हो तो प्रथम पुत्र, दूसरे में (20 अंश तक में) दूसरे पुत्र एवं तृतीय (30 अंश) के भीतर का हो तो छोटे पुत्र की मृत्यु होती है। ___ अल्पायु विचार के सम्बन्ध में कहा गया है कि यदि बुध, बृहस्पति और शुक्र छठे, आठवें या बारहवें में हो तथा यदि सूर्य चन्द्रमा के साथ लग्न में हो और आठवें या बारहवें में पापग्रह हो अथवा शुक्र एवं बृहस्पति लग्न से हो और सूर्य पापग्रह के साथ होकर पाँचवें में हो तो जन्म लेने वाला अल्पायु होता है। व्यक्ति कब मरेगा यह विचार अत्यन्त गूढ़ है। इस संबंध में भली प्रकार विचार करने के लिए कहा गया है। लग्न चक्र में दूसरा स्थान तथा सातवां स्थान ये दोनों ऐसे स्थान हैं जहाँ से मृत्यु के सम्बन्ध में काल (समय) का ज्ञान होता है। मारकेश अर्थात् मारने वाला ग्रह कौन होगा इसका नियम यह है - 1. द्वितीयेश के साथ वाले पापग्रह को मारकत्व की प्रबल प्रधानता होती है। 2. सप्तमेश के साथ वाले ग्रह को उससे कम। 3. द्वितीयस्थ पापग्रह को उससे कम। 4. सप्तमस्थ पापग्रह को उससे कम। 5. द्वितीयेश को उससे कम। 6. सप्तमेश को उससे कम। 7. उसके बाद द्वादशेश को। 8. उसके बाद द्वादशेश के साथ वाले पापग्रह को। ___ इसके बाद तृतीयेश, इसके बाद षष्ठेश, फिर एकादशेश, अंत में ग्रहों के पापत्व को देखते हुए मारकेश की प्रधानता स्थिर करनी होती है।