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(४८) और हाय हाय पुकारतें हैं वे सब देखनेमें आते हैं, वास्ते उन सबकों महादेव ही समझना चाहिये, वाह रे ! वाह ! ! पुराणके लिखने वाले तुने तो महादेवकी स्तुति क्या करी ?, महादेवकी बूरी दशा लिख मारी, ऐसी गप्प बातें जिन पुराणोंमें लिखी हुई है उन पुराणोंको सुननेसे लोकोंका कल्याण कैसे होसकता है ?, इस बातका बुद्धिमान् लोक स्वयं विचार करेंगे. ... तथा महादेवजी कहते हैं-निस्संदेह मुझहीसे सब प्राणी उत्पन्न होते हैं, यह बात भी सत्य मानने लायक बिलकुल नहीं है, अगर तुम्हारे खयालसे सत्य मानी जावे तब तो महादेवजी महाजुल्मी गिने जायेंगे, क्यों कि इस दुनियां में हत्या गर्भपात और चोरी आदि करने तथा करानेवाले अनेक जीव मौजुद हैं, वो सब अत्याचारी प्राणी महादेवजीसे ही उत्पन्न होनेसे उन लोकोंके किये हुए जुल्म भी महादेवजोसे ही उत्पन्न हुए साबित हुए, अगर महादेवजी सर्वको उत्पन्न करतें है तो वेदशास्त्र पुराण स्मृति आदि शास्त्रोंकी निंदा करनेवालोंको तथा गौ मांसादि भक्षण करनेवाले महाजुल्मो यवनोंको क्यों उत्पन्न किया ?.
शिवपुराण वायुसंहिता अध्याय १७ उसे लेकर २० वें तकमें महादेवजीने वीरभद्रादिकोंको भेज कर दक्षके यज्ञका विध्वंस करवाया और जो दिव्य अन्न वगैरह तथा अनेक प्रकारके मांस आदि पदार्थ वहां रक्खेंथे इन सबको वीरभद्रके अनुचर खाने और फिकने लगे, तब विष्णु वगैरह देवता यक्षके पक्ष होकर वीरभद्रादिसे युद्ध करने लगे, परंतु वीरभ. द्रादिने विष्णु आदि देवोंका बुरा हाल किया, इत्यादि लेखके
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