Book Title: Mat Mimansa Part 01
Author(s): Vijaykamalsuri, Labdhivijay
Publisher: Mahavir Jain Sabha

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Page 218
________________ ( १९६) कपिल गौके दानसे उस पर जिक्ते रोम हैं उतने युग तक स्वर्ग में रहनेका लोभ दिया है तो कहीं कुछ कहीं जमीनका दान कर खत करवा देनेसे बड़ा लाभ वर्णन किया है. मतलब - स्वार्थ सिद्ध करनेके लिये अनेक तरहकी कोशिशें की गई हैं. "" नियुक्तस्तु यदा श्राद्धे देवे वा मांसमुत्सृजेत् । यावन्ति पशुरोमाणि तावन्नरकमृच्छति ॥ ३१ ॥ " वशिष्ट स्मृति - पृष्ठ- ४३ । भावार्थ - जब श्राद्ध में निमंत्रण स्वीकार करके यजमानके यहां मांस बनाया परोसा जाय और उसको त्याग देवे तो पशुके शरीर में रोम होवे उतने वर्षों तक नरक में वसता है ॥ ३१ ॥ इस पाठसे तो ब्राह्मणोंका हत्याकांड पराकाष्टाको प्राप्त हो गया. - आगे C " अथापि ब्राह्मणाय वा राजन्याय वा अभ्यागताय वा महोक्षं वा महाजं वा पचेदेवमस्यातिथ्यं कुर्वन्तीति ॥ ८ ॥ 99 " - व - स्मृ - पृ- २०-२१ । भावार्थ - और जो श्रुतिमें लिखा है कि, आये हुए ब्राह्मण क्षत्रिय राजा वा अतिथिके लिये बडे बैल वा बडे बकराको पकावे, ऐसेही ब्राह्मणादिकका अतिथि सत्कार • करते हैं ॥ ८ ॥ इस वशिष्ट स्मृतिके पाठसे भी ब्राह्मण धर्मकी कलई खुल जाती है. १ यह अर्थ पंडित भीमसेन इटावानिवासीने किया है ऐसाही हमने यहाँ दिया है क्यों कि वशिष्टादि स्मृतिएं उन्होंने छपाई हैं सर्वत्र ब्राह्मण पंडितों के किये हुए भाषार्थको ही हमने रजु किया है. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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