Book Title: Manidhari Jinchandrasuri
Author(s): 
Publisher: Shankarraj Shubhaidan Nahta

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Page 18
________________ ॥ॐ॥ GA मणिधारी श्रीजिनचन्द्रसूरि न समाज में सुप्रसिद्ध दादा सनक खरतरगच्छ के चार ( आचार्यों में श्रीजिनदत्तसूरिजी के अनन्तर मणिधारी श्रीजिनचन्द्रसूरिजी का पुनीत नाम आता है। ये बडे प्रतिभाशाली विद्वान एवं प्रभावक आचार्य थे। केवल २६ वर्ष की अल्पायु पाकर इन्होंने जो कार्य किये वे सचमुच आश्चर्यजनक और गौरवपूर्ण हैं। गुरुवर्य श्रीजिनदत्तसूरिजी दे उनकी प्रतिभा की सच्ची परख की थी, उनके लोकोत्तर प्रभाव की गहरी छाप श्रीजिनचन्द्रसूरिजी के जीवन मे अङ्कित पाई जाती है। मणिधारीजी का व्यक्तित्त्व महान एवं असाधारण था । इसो का सक्षिप्त परिचय इस लघु पुरितका में दिया जा रहा है। १ श्रीजिनदत्तसूरि, चरित्रनायक श्रीजिनचन्द्रसूरि, श्रीजिनकुशलसरि और युगप्रवान श्रीजिनचन्द्रसूरि-इनमे से पिछले दो आचार्यों का चरित्र हम पूर्व प्रकाशित कर चुके हैं। श्रीजिनदत्तसरिजी का चरित्र शीघ्र ही प्रकाशित करेंगे।

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