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मणिधारी श्रीजिनचन्द्ररि मुनिराज श्रीजयन्तविनयजी सम्पादित 'अर्बुदगिरि शिलालेख संवह' में :सं० १४८३
लेखांक १७६ हमारं संग्रहित बीकानेर जन लेख संग्रह में:सं० १५२३ वै मु. १३ अजितनाथजी का मन्दिर श्रीजिनविजयजीसम्यादित प्राचीन जैन लेख संग्रह भा०२ में:
सं० १४८५ कार्तिक शुला५ ५६, सं० १४६६ आयाढ़ शुका १३ ६०
(ये दोनों लेख गिरनार यात्रा के हैं)
गोत्रों के नाम उपरोक्त शिलालेखों में इस जाति के बहुत से गोत्रों के नाम उपलल्य होते है जिनकी नामावली इस प्रकार है:
दसिण्ड १८६, १४०७ (बु) वायड़ा २१६, १:७८ (१) बाग १०, ११, १२, २१५, बत्तिटिया १९२
२१३, २७०, ८१, ४१८, सयला १९२
४३९, १६३ () मोल, १९९७ बड़ा १९२
महवा १६६ बोरा १७६, १९०, १९८, २४५, पाहड़िया १३९७
२७१, १९, १९९ माणवाग १६६७ जजियग१९३
वजागरा १९९७