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॥ अहं नमः ॥
परिशिष्ट ( १ )
श्रीजिनचन्द्रसूरिजी महाराजकृत
व्यवस्था - शिक्षा- कुलकम्
पणमिय वीरं पणयंगिवग्गसग्गापवग्ग सोक्खकरं । सिरपासधम्मसामि तीत्थयरं सव्वदोसहरं ॥ १ ॥ प्रणम्य वीरं प्रणताङ्गि वर्गग्वर्गापवर्गसौक्ख्यकरम् । श्री पार्श्वधर्मस्वामिनं तीर्थकरं सर्वढोपहरम् ॥ १ ॥
अर्थ --- नमस्कार करनेवाले भव्यजीव समूह को स्वर्ग और मोक्ष के सुन देने वाले श्री महावीर भगवान को एव धर्म के स्वामी- तीर्थ को करने चाले सब दोषों को हरनेवाले श्री पार्श्वनाथ भगवान को प्रणाम करके ।
साहृण साहुणीणं, तह साचय - सावियाण गुणहेउ । संखेवेण सुद्धसद्धम्मववहारं ॥ २ ॥
दंसेमि,
१ ---मुह ।