________________
परिशिष्ट (३)
महत्तियाण जाति
प्रस्तुत निबन्ध में हम एक ऐमी जाति का परिचय दंगे जिसका नाम मात्र शिला-लगों और कतिपय प्राचीन प्रन्यों में ही अवशेप है। जिस जाति वालों ने पूर्व प्रान्तीय जैन तीर्थी फ जीर्णोद्धार आदि मे महत्त्वपूर्ण भाग लिया है अथवा दूसरे शब्दों में यों को कि वर्तमान पूर्व प्रान्तीय जनतीर्थ जिनके मन्द्रन्य और आत्मभोग के ही सुपरिणाम है, एव जो फेवल ३०० वर्ष पूर्व एक अन्दी गच्या में विद्यमान थे, उनकी जाति का आज एक भी व्यक्ति दृष्टिगोचर नहीं होता, यह कितने बर्ड मंद की बात है।
नाम और प्राचीनता अम जाति मागभनाम प्रसिद्ध लोक-भाषा में मारियाग और गिलारेगादि में ममिलीय' भी पाया जाता है।
T A
fam में गति ( -) मुह में मात्र दो orriगानी मारे , P. ITE mriti