________________
[ 2
किसी आसमानी देवों की फौज के सहारे नहीं, किंतु अपने दो मनोवल से विवेकवल से जगदुद्धारक कैसे बने ? उनका जीवन भी साधारण मनुष्य का जीवन था, उनकी परिस्थितियों भी साधारण मनुष्य के समान थीं, इसी दुनिया के भले बुरे आइमियों के सिवाय और कोई आसमानी प्राणिजगत अनका सहयोगी या विरोधी नहीं था । ऐसा महावीर चरित्र ही श्रदेव का जासकता है, अनुकरणीय कहा जासकता है, सच्चे महामानव का जीवन कहा जासकता है ।
२- जीवन सामग्री -
म. महावीर के माननेवाले आज दो फिरकों में बटे हुए हैं। एक हैं दिगम्बर दुसरे हैं श्वेताम्बर । इनके भी भेद प्रमेद है, पर मुख्य ये दो ही हैं । और महावीर जीवन सम्बन्धी मतभेद भी इन दो से ही सम्बन्ध रखता है । इनमें दिगम्बरों के पास महावीर जीवन सम्बन्धी सामग्री नहीं के बराबर है । मातापिता के नाम, जन्म मृत्यु के के एक दो स्थान या एका घटना वस, ऐतिहासिक सामग्री स्थान, उम्र, मुख्य शिष्यों के नाम विहार इतनी ही है। बाकी पूर्व जन्म की कल्पित कहानियाँ, देवों की कहानियाँ ही हैं । दिगम्बर इस मामले में भी दिगम्बर होगये हैं ।
श्वेतरों के पास यद्यपि पौराणिक कल्पित कहानियों और दिव्य चमत्कारों की कमी नहीं है परन्तु वास्तविक ऐतिहा लिक सामग्री भी काफी हैं । चमत्कारों के बीच बीच में महावीर की मानवता के भी काफी दर्शन होते हैं ।
5
महावीर के जीवन के बारेमें जो दोनों सम्प्रदायों में मतभेद हैं वे विधिनिषेधात्मक उतने नहीं है जितने विधि उपेक्षाFan | श्वेताम्वर कहते हैं कि महावीर का विवाद हुआ था. दिगम्बर इसके निषेध पर जोर नहीं देते, किन्तु अपेक्षा करते हैं,