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स्वदेशी आन्दोलन और बायकाट ।
राज्यप्रणाली के अनुसार आन्दोलन करने लगे हैं। उनकी एकता, उनकी जातीयता, उनकी संघशक्ति बहुत दृढ़ होती जा रही है। यदि यह एकता ऐसीही बनी रहंगी नो उनकी शक्ति इतनी बढ़ जायगी कि किसी दिन सरकार को उनसे डरना पड़ेगा। अतएव उन्होंने वंग-भंग की युक्ति ढूंढ़ निकाली जिससे बंगालियों की संघशक्ति का नाश हो और सरकारी अधिकारियों की सत्ता अनियंत्रित तथा अबाधित बनी रहै। माननीय मिस्टर गोखले ने काशी की कांग्रेस की वक्तृता में कहा है-... The .i-n.InInternment of Pengal hud become bece-sary. beat, in the list of the Contrast of India," it cannot le for balacting your of 10 Count : 10% pole that public opinion, or what topit, boul. 1. Terlar i s : cumquratively small amber of people itt a single mire and lould ljo liseminated thence for univerrat Morion.“ "iron 34 point u viry", the Government Hirthur si: j1 au 1.. l-irabili tu tounge the yuthorite of intputitutiminity. Inai -mirations. local itmlunu sers. The growing intelligrainmentrise of Bengal I've being an d utili alle propos of lorr. ng it prematurely into it morki v igil forike witoruit." Yuli will yt tut this is ou r praec. in Lami urzor mest oppruni
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e 1,607 fwolitical resojne!" भावार्थ यह है---हिन्दुस्थान सरकार ने बंग-भंग की आवश्यकता इसलिये समझी कि, " इस बात से किसी देश. जाति वा राष्ट्र को लाभ नहीं हो सकता, कि किसी एक स्थान के थांडेस लांग, सर्व-माधारण लोगों के लिय, सम्मति तैयार करें और उसीका सब लोग स्वीकार करें। यद्यपि म्वार्धानसम्मति के स्थानों की वृद्धि, अपंनित है, नथापि बंगाल-प्रांत की बढ़ती हुई बुद्धि के हित के लिये उसका, हानिकारक एकता म बचाना, आवश्यक है।" लार्ड कर्जन पाहब ने अपनी मजेदार इबारत में वही बात कही है जो बंगाली लोर, पहलेही में कहते चलं आये हैं-अर्थान बंगाल-प्रांत के दो टुकड़े इसलिये किय