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स्वदेशी आन्दोलन और बायकाट ।
मुसलमान-नायक को भी वहां न आने देने का यत्न किया था। बागाखां बड़े श्रीमान सरदार हैं। आस्ट्रेलिया के व्यापारियों को उनसे बहुत लाभ होने की संभावना थी। इस प्रकार के फायदे की कुछ भी परवा न करके आस्ट्रेलिया के निवासी हिन्दुस्थानियों, चीनियों, और जापानियों के साथ अपना सम्बन्ध रखना नहीं चाहते, इसका कारण क्या है ? आस्ट्रेलिया से इंग्लैण्ड को जिस जहाज़ में डांक भेजी जाती है उसपर हिन्दुस्थानी खलानी न रक्खे जांय-इसका कारण क्या है ? आस्ट्रेलिया की मनुष्य-संख्या बहुन नहीं है। वहां मजदूर कम हैं: और उपजाऊ भूमि बहुत है। इतने पर भी वे लोग विदेशियों से संबंध क्यों नहीं रखते ? वे जानते हैं कि हमारे वर्तमान कार्य का परिणाम भविष्यन में अपनी सन्तानों पर अच्छा न होगा। वे इस बात का विचार करते हैं कि हमाग धन कहां जाना है--और वहां जाकर वह हमें केस प्रकार हानि पहुंचावेगा । ट्रान्सवाल में सोने की खानों में काम करने के लिये चीनी मजदर भरती किये जांय या नहीं, इम वेषय का -विवाद इंग्लैण्ड में क्यों किया जाता है ? दक्षिण-आफ्रिका में मंगरेजों का राज्य है। वहां कालं आदमियों ( हिन्दुस्थानियों ) के माथ
सा बर्ताव किया जाता है सब लोगों को विदित है । यथार्थ में वहां काला पादमी अत्यन्त पतित और हीन समझा जाता है। इसका कारण क्या है ? द इंग्लैण्ड में, मिस्टर चेम्बग्लेन और बाल्फोर माहब अंगरजी-व्यापार
रक्षा के लिये जो प्रयत्न कर रहे हैं उसका रहस्य क्या है ? MAMIT जर्मनी में बनाया गया-यह वाक्य किसी वस्तु पर दग्बते ही गरेजों का दिमाग बिगड़ क्यों जाता है ? उन प्रश्नों का उत्तर एक ही -." म्बकीय का म्वीकार और परकीय का न्याग"। इस विचार-इम ल्पना --का अमर पहले पहल यूरप के सब देशों में हुआः अनंतर त विचार की लहरें एशिया-खंड की ओर झुकी । जापान के विजय उस विचार की लहरें और भी अधिक उत्तेजित हुई। इसी विचार-परिनि के कारण चीनियों ने अमेरिका के व्यापार को अपने देश से अहिष्कृत या। यह विचार-तरंग, आज नहीं तो कल, कभी न कभी, भारतवर्ष में आनेही वाली थी-उसके स्वाभाविक प्रवाह को कोई भी रोक