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आक्षेप निवारण |
आक्षेप निवारण |
देशी आन्दोलन ने अबतक कई रंग बदले । इस लिये उसके
स्व साथ और भी कई विषय शामिल हो गये। उनमें से प्रधान प्रधान विषयों का संक्षिप्त विवेचन गत परिच्छेदों में किया गया है। इस आन्दोलन की उपयुक्तता और महत्व भिन्न भिन्न लोग भिन्न भिन्न रीति से स्थापित कर रहे हैं । अब ऐसे बिरले ही होंगे जो 'स्वदेशी' या 'बायकाट' का विरोध करें। सब लोगों का यही निश्रय देख पड़ता है कि स्वदेशी वस्तु का स्वीकार और विदेशी वस्तु का त्याग करना चाहिए । राजकोट के एक बोरिस्टर, मिस्टर पंडित, की यह राय है कि 'स्वदेशी' से दुर्भिक्ष क निवारण हो सकेगा; क्योंकि जब इस आन्दोलन से देशी व्यापार की तरक्की होगी तब खेती पर निर्वाह करनेवाले गरीब किसानों की संख्या कम हो जायगी और गांव गांव में उद्योग की वृद्धि होने लगेगी । इस आन्दोलन से नैतिक लाभ भी होगा; क्योंकि यह एक स्वावलम्बन का मार्ग है । सारांश, राजनैतिक, औौद्योगिक, सामाजिक, नैतिक आदि अनेक प्रकार से यह आन्दोलन लाभदायक है । इतना होने पर भी कुछ सखी के लाल इस उपयोगी आन्दोलन के विरुद्ध अपनी टें टें रटा ही करते हैं। इन लोगों के आक्षेपों का उत्तर, इस लेख में, कई स्थानों में दिया गया है। अब के एक प्रधान आक्षेप का खण्डन किया जाता है ।
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बहुतेरे लोगों का यह कथन है कि, इस आन्दोलन के कारण देशी वस्तु बहुत महँगी हो गई है; और महँगी वस्तु खरीदने से हम लोगों की हानि होती है । इस आक्षेप का एक भाग सच है वह यह है कि स्वदेशी आन्दोलन के कारण, इस समय, देशी वस्तु का भाव कुछ बढ़ गया है। परन्तु उस अक्षिप का दूसरा भाग अर्थात् स्वदेशी महँगी वस्तु खरीदने से हम लोगों की हानि होती है--निरा भ्रामक और असत्य है । आप यूरप के किसी देश का सम्पत्तिक इतिहास दखिये, आपको यही विदित होगा कि . प्रत्येक देश में, अपनी अपनी साम्पत्तिक उन्नति करने और अपने अपने
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