________________
रतन परीक्षक। आँक एक रत्ती तं जानो। माणिक नाम सोई शुभ मानो। सिं रावण गंगा मांही। सिंहल देसी उत्.म ताहीं॥
पाणिक रंगन वर्णन ॥ चार वर्ण माणिक में जानो। नया पोड़श भेद पत्रानो। आठ दोशरण चार विचारों । यह माणिक के रंग सम्हारों ॥ चार वर्ण सो से जानो । क्षत्री नाम रमानी मानी ॥ सपदी सहित सर्व मनवार । नीम रंग सो विप्र विचार ॥ छाया पीत लाल जो होई । सो कुरु विद वैश्य है सोई॥ रंग लाल स्याह फिर जानो। विनोस नाम यह शूद्र पछानी ।। एम चार वर्ण सब जानो। अब खाया के भेद पठाना। अग्नि अंगार स्वपन जानो। अथवा वीर बहोही मानो।। गुंजा अवस्ट नाना होई। सिंपर पलाम पुष्पवत होई॥ मार कर लाखवत जानो। वंक पुप्प लोसम मानो॥ सारस पक्षी कोयल होई। कबूतर चकरो मानो सोई॥ इतो नेत्रवत भेद पिलान । छाया पोड़स करी प्रमान ॥ आठ दोश आगे सुन सोई। हिना यत्व नामा इक होई॥ छाया दोय रंग की जानों। बंगु नास फल ताको मानों ॥ दूसर विरूपत्व सो जान । पछि पावत श्याम पान ॥ पसों माणिक जारे कोई । अति हानि कर कहिये सोई॥ मुपदी ब्राइ होत जिसमांहो । सौंदक पशु नाशक तांही ॥ जो टूटे की संका पाव । संभेद नाम भय शास्त्रि दिखावे ।। सकंग कार जाहु मे होई। कर्कर नामा माणिक हो। पर व नासक सो जान । भयदायक सुख दूर पळांन । असोभा नाम इगजिसमाहीं। अति दुख दायक मानों ताहीं॥ जामें छिटक नबन होई। कोकिल नामा माणिक मोई॥ । मुम्ब ओ हरता ज्ञान । बदनामी अते रोग पचन ।।