Book Title: Lecture On Jainism
Author(s): Lala Banarasidas
Publisher: Anuvrat Samiti

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Page 378
________________ (१८) घर विना प्रेतस्मशान तुल्य है | जो मनुष्य मूल के ॥ साथ भोजन खाता है उसके एकसौ चंद्रायन व्रत करने से भी पाप दूर नहीं होता है | मांसतुल्य है जिसने अभव भक्षण किया उसने हुलाहल जहर भक्षण किया और जिसने बैंगन खाया वह नर रौरव नरक में जाता है ॥ इति धर्मेोपनी समाप्त.

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