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। रतन परीक्षक। ॥ कोरंड नाम कर कहिए सोई । सामान्य श्वेतज्रयासंगहोई ॥ ॥ छाया लाल कषाय कहावे । इंद्र नील सो कृश्न दिखावे ।। । चार वर्ण की छाया जानो। पद्म राग बहु रंग पचनो॥ ॥ कीमत अरु गुण दोषविचारो। लसुनी के समस भो सम्हागे। ॥ उत्तम छाया पोत दिवावे । निर दोष'धार मनवांछित पावे॥ ॥वंच्या पत्र वती धन मानो। जस आय सख संतति जानो। ॥छिटक वीर अरु त्रास दिखावे । रंग विरंग सक्षता पावे ।। ॥ चमक हीन विन सूरत होई। अति दुख दायक त्यागो सोई॥ !! बिलोर चमकवत श्वेत दिखावे । वन घाट वत आभा पावे ॥ । उत्तम घाट तांबडा होई । अट आने रत्ती कीमत सोई॥ । सात रुपए तक यो जानो। आग खोटा भेद पछानो ।
॥दोहरा॥ ॥ इस के खोटे चार हैं। पत्थर जाती सोय ॥ ॥ भिंत भिन वर्णन कंग। कीमत कमनी होय ॥
॥चौपई ॥ ॥ ककेंतक नाम जई है सोई। खोटा सुंदर ना सम होई ॥ ॥ दूसर जर्द सुनहला जानो। तीसर टोडा नाम पचानो। ॥ विरूम नाम भो ताकी कहै । रंग दंग सम खोटा लहै ।। ॥ पुखराज नर्म कच्चा जो होई । चोथा खोट बनावत सोई॥ ॥ करें परीक्षा उत्तम पारे । सुख कारन कीमतगंथ विचार।। ।। पर्व घोट इक कोंडी जानो। कीमत आने आठ पछानो। ॥ दस रुपए तक है सोई। कोडी ऊपर कीमत होई॥
॥इति श्री पुखराज विधानं ॥ ॥ अथ मृगा विधानम ॥
चौपई ॥ क्षारसमुंदर बीच विनागे । उत्तपन मंगा सोई सम्हागे॥