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। रतन परीक्षक!
॥दोहा॥ ॥नव रतन वीच मूंगा कहा । सारखा वत पर मान ।। ॥ अग्न वीच निम है । ताकर रतन पछन ।
॥ जैसे जिला औरपै आवे । तेसे जिला मुंग प्रघटावे ।। ॥ पत्थर जात जिला ज्यो होई। लकडी सांन पर उत्तम सोई॥ ॥ त्योंहि जिला मुंगे को आवे । ताकारन यह संग कहावे ।। ॥ उत्तम सान अर्क की जानो। अथवा सिंबल अंब पत्रांनो। ॥ इनकी सुंदर सांन वनावे । जिला चमक विजली वत आवे !!
जो को मंगा धारन करे । रुधिर दोष आदि सब हरे॥ ॥हाथीदांत का खोटा होई। जिला तोल में संदर सोई॥ ॥लाख काट अरु संख विचारो। इनका वोटा मग सम्हागे । ॥ जिला तोलमें कमतो सोई। रगड परीक्षा सभ की होई॥ ॥ तोला आने आठ विचागे। पचास रुपए तक मन धारी॥ । ज्यों ज्यों तोलमोलवर जाव। रंग ढंगलख कीमत पावें ।।
॥दोहग॥ । नव रतन वीच यह जानि ए। मूंगा मोती दोय ।। ॥ घसने में जलदी दऊ। आवी संज्ञा होय ॥
॥ इति श्री मूंगा विशनं ॥ ॥ अथ पन्नो विशनम् ।।
॥दोहा॥ ॥पन्ना अव आगे सुनो। सवजा मर्कत सोय ॥ ॥ तुर्कि स्तांन समुद्र तट । खांन ताहुकी होय ।।
॥चौपई॥ ॥ सवजा सबज रंग मन भावे। धांन साखवत जरदी पावे ॥ ॥ तोते के गत वत जों होंई। पीठ ठना ते की शुभ सोई ।। ॥ मोर पंख बत रंग दिखावे । हलका तोल गंभीर स हाये ॥