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। रतन परीक्षक। त्यारी में सुंदर सजे। जाषिष हीरा होय ॥
॥चौपाई॥ नाम कांसला पत्थर सोई। नर्म तोलमें हलका होई ॥ चमक तेज इसमें कम जानो । जाड़ा हुआ सम हीरे मांनो। दूसर नाम तुरमुली कहिये । जरदी माइल मैला लहिये ॥ रेखा में कछु चमक न होई । दासा नाम रूक्ष है सोई ॥ पाणी पुष्क जाहुका जांनो। जहा हआ सम हीरे मानो ॥ तीसर खोट विलौरी कहिये।चिकनाट तोल में कमती लहिये। लाली जरदी माइल होई। मानो शकल फंग की सोई॥ ऐसी चमक बजू में नाहीं । ऐसें कहा गूथ मत माहीं । काच अवर पुखरोज विनोरो। त्यारीमें जहखोट सम्हारो ॥ शूद्र जातका हीरा लीजे । खोटा रगड़ परीक्षा कीजे ॥ जेकर रेखा ऊपर आवे। देखत ही खोटा लख पावे ॥
( हीरे की रंगत ) (१) स्वेत (२) सबजी मिश्रित स्वेत (२) कुछ खेत कुछ पीत (2) श्वेत नीलापन लिये हुए (५) श्याम श्वेत (६)
(हीरा के गुण द्वेश ) चमक तेज निर्मल मन भावे । विजली वत चमकार दिखावे ।। सूरज सन्मुख राखे कोई । इंद्र धनुषवत रंगत होई ॥ पानी ऊपर तरता जान । अति उत्तम अति कीमत मान॥ पांच ऐब आगे सुन सोई। छिटा चीर ड्रग जो होई ॥ कर्क रंगढ़ काक पद जान । पांचों अब गुण निंद पिछान ॥ निरदोष वजू धारण जो करे । निरभय सुख शोभा जस धरे ॥ आगे और परीक्षा कोजे । गर्म दूध वा घृत जल लीजै ॥ होग उत्तर सामें पावे। नान काल शीतलना आवे ।।