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प्रस्तावना.
जिनागम अने जिनमंदिर ए बन्ने आ कालमां परमतारक छे ते निर्विवाद छे. ने तेनी विद्यमानतामां जैनशासनमा सर्व छे अने तेना अभावे कशं नथी.
धर्मविषयने प्रतिपादन करनार के तेनी प्रभावनाने अनुसरनार जे कोइ ग्रंथ होय ते जिनागम छे पछी भले ते गद्य पद्यात्मक तिहासिक, उपदेशात्मक, वार्ता साहित्य, आचार विषयक के धर्मविषयक मूल ग्रंथने अनुसरनार कोईपण ग्रथ होय.
आ कुमारपाल प्रतिबोध प्रबंध तिहासिक होवा छतां खरीरीते धर्मग्रंथज छ कारणके तेमां वर्णवेल कुमारपालनी जीवनगाथा सम्यक्त्वनी दृढता अने धर्मसन्मुख वाळवाना आशये शुद्धसत्योना संग्रहरूप छे. अने पूर्वपुरुषोनो तेनी रचना प्रत्येनो परिश्रम कुमारपालना धर्मदृढ अनेधर्मप्रभावक कार्योनाप्रचारद्वारा जगतमां धर्मभावनानी प्रगटता साथे धर्मप्रभावना थाय तेने लइने छे.
वास्तविक रीते आ ग्रंथमां विक्रम सं. ८०० थी १२३० सुधीनो शंखलाबद्ध गुजरातनो संक्षिप्त इतिहास अनेक घटनाओथी भरपूर रीते पूरी पाडवामां आव्यो छे अने साथे साथे बारव्रत, तत्वत्रयी, नवतत्त्व विगेरे अनेक विषयोनुं प्रतिपादन करवामां आव्युं छे.
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