Book Title: Karnanuyog Praveshika
Author(s): Kailashchandra Shastri
Publisher: Veer Seva Mandir Trust
View full book text
________________
दर्शनावरण कर्म दर्शनावरण कर्मके भेद दर्शनावरण कर्मके बन्ध स्थान
दर्शनावरण कर्मके नौ
प्रकृतिक बन्ध स्थानका
स्वामी
दर्शनावरण कर्मके छह - प्रकृतिक
बन्ध स्थानका स्वामी दुभंग नामकर्म
दुस्वर नामकर्म
देवोंके दो भेद
देवोंके भेद
देशविरत गुणस्थान देशविरत गुणस्थानका
अन्तरकाल
देश विरत गुणस्थान में बन्ध देशविरत गुणस्थान में बन्धव्युच्छित्ति
देशविरत गुणस्थान में उदय
देश विरत गुणस्थान में उदय व्युच्छित्ति
देशविरत गुणस्थान में सत्त्व देशना लब्धि
देशघाति कर्म
देशघाति कर्म प्रकृतियां
देशोपशम
द्रव्यप्राण
द्रव्यप्राण के भेद
द्रव्य निक्षेपणका अर्थ
द्रव्यमान के भेद
द्रव्येन्द्रिय
द्रव्येन्द्रियके भेद
विषयानुक्रमणी
प्रश्नांक
४४०
४४८
६३०
Jain Educationa International
६३१
६३२
५२०
५२२
१५३
८३
११२
द्वितीय वर्गणा
द्वितीय स्पर्द्धक
धारणाज्ञान
ध्रुवबन्ध ध्रुवबन्धी प्रकृतियां
ध
नामकर्मके भेद
४२६ नामकर्मकी उत्तर प्रकृतियोंका
६४३
७४३
२१
२०७ १६१
न
नरक से निकला जीव कहां जन्म
लेता है
नरकसे निकला जीव क्या नहीं
होता
नाना गुणहानि
नामकर्म
उत्कृष्ट स्थितिबन्ध नारकियोंकी आयु
६४४ नारकियोंके दो भेद
६६८
६६६ नित्य निगोद
नारकियों के शरीरकी ऊँचाई नाराच संहनन
निकाचितकरण निधत्तिकरण
३५६
६११ निरन्तरबन्धो प्रकृतियां
६१४
३६६
१८६ निद्रा
१६१ निद्रानिद्रा
निरन्तरबन्ध और ध्रुवबन्ध में
अन्तर
निर्माण नामकर्म
निवृत्ति (इन्द्रिय)
निर्वृत्तिके भेद
निवृत्त्यपर्याप्तक
For Personal and Private Use Only
१३
प्रश्नांक
५६३
५६५.
२६४
७२२
७४५
५६
५७
५६८
४४४
४७१
५४३
१५२
५५
५५
४८६
२४३
६०४
६०३
७१४
७१६
४५२
४४६
५२७
२०८
२०६
१५५
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132